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डंपिंग जोन को विकसित करने के लिए शीघ्र बनाएं एक्शन प्लान: महाराज

देहरादून: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने चारधाम परियोजना के दौरान बनाए गए डंपिंग जोन को जन सुविधाओं के लिए उपयोग में लाए जाने और रोपवे के निर्माण को लेकर शनिवार को लोनिवि,वन विभाग एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्य योजना पर मंथन किया।

सतपाल महाराज ने शनिवार को प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग कार्यालय, यमुना कॉलोनी में लोक निर्माण, पर्यटन एवं वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक पर चारधाम परियोजना के अंतर्गत 889 किमी में बने 350 डम्पिंग जोन की पर्यटन की दृष्टि से उपयोगिता पर मंथन किया। उन्होने अधिकारियों को निर्देशित किया कि चार धाम परियोजना के अंतर्गत बने सभी डंपिंग जोनों को पर्यटकों की सुविधाओं के अनुरूप विकसित किया जाए। डंपिंग जोन के तहत जितने स्थान चिन्हित किए गए उन सभी स्थानों का उपयोग कैरावन, पार्किंग, शौचालय, रेस्ट हाउस एवं रेस्टोरेंट्स आदि गतिविधियों के उपयोग में लाई जाए।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि चारधाम परियोजना के अंतर्गत 889 किमी के दायरे में यात्रा मार्ग पर कुल 350 डम्पिंग जोन हैं। पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने हेतु 54 डम्पिंग जोन जिनका कुल क्षेत्रफल 125 बीघा है चिन्हित किये गये हैं। श्री महाराज ने बताया कि ऋषिकेश से माणा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-58 पर 06 डंपिंग जोन, रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-109 पर 05 डंपिंग जोन, टनकपुर से पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 पर 30 डंपिंग जोन, ऋषिकेश से धरासू राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-94 पर 03 डंपिंग जोन, धरासू से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-94 पर कुल 10 डंपिंग जोन जबकि धरासू से गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-108 पर 01 डंपिंग जोन उपलब्ध है।

अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान सतपाल महाराज ने कहा लोक निर्माण एवं वन विभाग के अधिकारी को निर्देश दिये कि तुरंत इस पर एक्शन प्लान तैयार करें ताकि समय पर इस योजना को मूर्त रूप दिया जा सके। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने लोनिवि एवं वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के पश्चात पर्यटन एवं ब्रिडकुल के अधिकारियों के साथ भी बैठक कर निर्माणाधीन रोकने पर चर्चा करने के साथ-साथ उनकी प्रगति के बारे में जानकारी हासिल की।

सतपाल महाराज ने बैठक के दौरान देहरादून (पुरकुल गांव) से मसूरी (लाइब्रेरी चौक), कद्दूखाल से सुरकंडा देवी मंदिर, ठुलीगाड़ से पूर्णागिरि, जानकी चट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री, रानी बाग से नैनीताल, गौरीकुंड से केदारनाथ, गोविंद घाट से हेमकुंड, झलपाडी से दीवाडांडा, कीर्तिखाल से भैरव गढ़ी और क्यूंकालेश्वर महादेव मंदिर तक रोप-वे की प्रगति और तकनीकी पहलुओं पर भी विचार विमर्श किया।

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