डिम्मर (चमोली): जहां बसंत ऋतु में होली के समय पूरे देश और दुनिया का ध्यान ब्रज की होली पर केन्द्रित होगा ,वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र जिला चमोली का एक गांव ऐसा है जहां इसी बसंत ऋतु में होली के समय श्री रामलीला पूजन व मंचन का आयोजन किया जा रहा है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं आज से करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व आदि जगतगुरु शंकराचार्य के बद्रीनाथ धाम की स्थापना करते समय उस कालखंड में पूजन व वंदन स्थली रही डिम्मर गांव की। इस गांव में अनादिकाल से रामलीला का पूजन व मंचन होलियों के समय एक परंपरा व मान्यताओं के तहत चला रहा है। आमतौर पर भारत व पूरे विश्व में रामलीला का आयोजन शारदीय नवरात्र दशहरे के समय होता है लेकिन इस गांव का रामलीला का संबंध सीधे भारत के चार धामों में से सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बद्रीनाथ से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि हर साल जहां एक ओर टेहरी नरेश के राज दरबार में श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निश्चित की जाती है तो वही आदि जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित डिम्मर गांव में भी बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व भगवान विष्णु की पूजा के निमित्त श्री राम लीला का पूजन व मंचन की तिथि निश्चित की जाती है।
निश्चित तिथि के अनुसार आज 14 मार्च से डिम्मर गांव में 10 दिवसीय रामलीला का पूजन व मंचन प्रारंभ होने जा रहा है। डिम्मर की रामलीला आज भी न केवल उत्तराखंड के लिए बल्कि भारत की धार्मिक मान्यताओं व परंपराओं को लेकर एक अलग पहचान रखती है। स्पष्ट तौर पर परंपराओं व मान्यताओं से परिपूर्ण है श्री बदरीनाथ धाम के पुजारी समुदाय डिमरियों के मूल ग्राम डिम्मर की रामलीला। श्री रामलीला मंडली के अध्यक्ष संजय डिमरी “प्रभुकांत” ने बताया की आज से प्रारंभ हो रही भगवान श्री राम के कार्य में शामिल होने के लिए गांव के सभी प्रवासी बंधुओं वह इष्ट मित्रों को पूर्व में सूचित किया जा चुका है। इसके अलावा डिमरी के अनुसार जनपद व क्षेत्रीय जनता को भी भगवान श्री राम के दर्शनों के लिए न्योता दिया गया है उन्होंने सभी से भगवान श्री राम के दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।