
देहरादून: मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों में अन्य राज्यों में विकसित बीजों की सफलता की संभावना कम है। प्रदेश में विकसित बीजों को अधिक कामयाबी मिल सकती है। उन्होंने दालों, पोषक अनाज और तिलहन की खेती को ज्यादा प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कार्यकारी समिति की बैठक हुई। इस मौके पर मुख्य सचिव डा संधु ने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराना आवश्यक है। इस दिशा में हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। फसलों की नई किस्म विकसित करने के लिए प्रदेश स्तर पर ही प्रयास किए जाएं।
डा संधु ने कहा कि राज्य के बहुत से उत्पाद जैविक हैं। इनकी मार्केटिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उत्तराखंड को जैविक प्रदेश के रूप में विकसित करने के लिए छोटे-छोटे क्षेत्रों में रासायनिक कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर शुरुआत करनी होगी। किसी ब्लाक या छोटे क्षेत्र को जैविक क्षेत्र घोषित करने पर शुरुआत में उत्पादन में कमी आ सकती है। किसानों को जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से मदद देने के निर्देश उन्होंने दिए।
मुख्य सचिव ने खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत वितरित की स्ट्रा रीपर के परिणाम पर अध्ययन कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्ट्रा रीपर का वितरण सफल रहने की स्थिति में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। दरअसल चिह्नित जिलों में चावल, गेहूं, मोटे अनाज, पोषक अनाज, तिलहन और गन्ने के उत्पादन क्षेत्र के विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने को निजी कृषि भूमि स्तर पर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने को यह योजना लागू की गई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि अच्छी योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। इन योजनाओं पर आवश्यकता पड़ने पर सरकार भी धन उपलब्ध कराएगी। बैठक में बताया गया कि राज्य को 2011-12, 2016-17 और 2017-18 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।