चमोली
तिमुंड्या मेला
बदरीनाथ धाम की सफल यात्रा को लेकर हर वर्ष नृसिंह मंदिर परिसर में तिमुंड्या मेले का आयोजन होता है। इस दौरान तिमुंड्या के अवतारी पुरुष को चावल और गुड़ का भोग लगाया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तगण मंदिर में पहुंचते हैं।
लोक मान्यता के अनुसार तिमुंडया तीन सिर वाला वीर था। एक सिर से दिशा का अवलोकन, एक सिर से आहार व एक सिर से वेदों का अध्ययन करता था । तिमुंडया का क्षेत्र में आतंक था। एक दिन मां दुर्गा देवयात्रा पर थी। ग्रामीणों ने मां स्वागत के लिए नहीं आए तो पूछने पर पता चला की लोग तिमुंडया राक्षस के डर से घर से बाहर नहीं निकल रहे है। तिमुंडया नर बलि भी लेता था। मां दुर्गा के कहने पर कोई भी ग्रामीण नर बलि के लिए तिमुंडया के पास नहीं गया तो क्रोधित तिमुंडया गर्जना करते हुए गांव में पहुंचा तो मां नवदुर्गा व तिमुंडया का भयंकर युद्ध होता है। मां नवदुर्गा उसके तीन में से दो सर काट देती है। एक सिर कटकर सेलंग के आसपास गिरता है उसे पटपटवा वीर और एक उर्गम के पास हिस्वा राक्षस कहते है। और जैसे ही नवदुर्गा मां तीसरा सिर काटने लगती है तो तिमुंडया राक्षस मां के शरणागत हो जाता है। मां दुर्गा उसकी वीरता से बहुत प्रसन्न होती है। उसे अपना वीर बना देती है। और आदेश देती है कि आज से वो मनुष्य का भक्षण नहीं करेगा।