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हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धनवंतरि पृथ्वी पर समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुए थे। इस साल यह तिथि 2 नवंबर को है।
जानिए धनतेरस पर बनने वाले शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व पौराणिक कथा…
धनतेरस पर भगवान कुबेर और आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ बर्तन आदि खरीदने का खास महत्व है। धनतेरस के दिन विशेष रूप से वाहन, घर, सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े, धनिया, झाडू खरीदने का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, जमीन की खरीदने से इनमें बढ़ोतरी होती है। बाजार में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आफर के विकल्प भी रखे हैं।
धनतेरस पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
अब गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें।
अब आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें।
लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें।
धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं।
धनतेरस शुभ मुहूर्त
धनतेरस पूजा मुहूर्त 2 नवंबर की शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक है।
प्रदोष काल शाम 05 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
वृषभ काल शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
त्रयोदशी तिथि 2 नवंबर की सुबह 11 बजकर 31 मिनट से 3 नवंबर की सुबह 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।