हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा इस बार 13 जुलाई को पड़ रही है। इसी दिन वेदों का संकलन करने वाले महर्षि व्यास की जयंती भी मनाई जाती है। ही कारण है कि इस दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भारतीय धर्म ग्रंथों और संस्कृति में भी गुरुओं की पूजा का विधान है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस दिन गुरु पूर्णिमा पर चार राज योग बन रहे हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक, इस साल गुरु पूर्णिमा पर विशेष योग बन रहा है। ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से चार राजयोग बन रहे हैं। इस दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि शुभ स्थिति में रहेंगे। ग्रहों की विशेष स्थिति से रुचक, हंस, शश और भद्र योग का निर्माण होगा। इतना ही नहीं, इस दिन बुधादित्य योग भी बन रहा है, यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा इस साल ज्यादा खास मानी जा रही है।
गुरु पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई बुधवार को सुबह 4 बजे से प्रारंभ होगी और 14 जुलाई की रात 12 बजकर 6 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। इस दाैरान श्रद्धालु विधि विधान से पूजा अर्चना कर सकेंगे।
पूजा विधि और सामग्री
गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन सबसे पहले उठकर स्नान करें इसके बाद साफ कपड़े पहने और फिर अपने घर के मंदिर में भगवान को प्रणाम करते हुए उन्हें फूल अर्पित करें और फिर सभी का तिलक करें। इसके बाद अपने गुरु के घर जाएं और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद करें। इस दिन कुछ सामग्री को पूजा में शामिल करना बेहद जरूरी है। गुरुजनों की पूजा के लिए पान का पत्ता, पीला कपड़ा, पीला मिष्ठान, नारियल, पुष्प और इलायची, कपूर लौंग जरूर शामिल करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा और उनका सम्मान करने की परंपरा है। शास्त्रों में भी गुरु को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु हमें जीवन का सच्चा मार्ग दिखाने में मदद करते हैं। इस दिन जन्मे वेदव्यास जी ने ग्रंथों की रचना करके इस संसार में ज्ञान का प्रसार किया और सत्य का मार्ग दिखाया है।