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डिमरी पुजारियों के मूल गांव डिम्मर में शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज के प्रतिनिधि के रूप में उनके शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी अपने सहयोगियों संग उपस्थित रहे

कर्णप्रयाग

प्रकाश चंद्र डिमरी 

भगवान बदरीविशाल के डिमरी पुजारियों के मूल गांव डिम्मर में पूर्व वर्ष परम्परानुसार ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज के प्रतिनिधि के रूप में उनके शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी अपने सहयोगियों संग उपस्थित रहे ।

ध्यातव्य हो कि पिछले वर्ष ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में श्रीशंकराचार्य जी महाराज लगभग 246वर्ष बाद औपचारिक रूप में कपाट बन्द होने के बाद के क्रम में डिम्मर गांव पहुंचे थे और जहां पर बडे ही धूमधाम से उनका नागरिक अभिनन्दन किया गया था , इस वर्ष दिल्ली के रामलीला मैदान में *गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आन्दोलन* में उपस्थित रहना आवश्यक था इसलिए यहां ना अकर सीधे बदरीनाथ धाम के कपाट बन्द होते ही अगले दिन सुबह बदरीनाथ से सीधे आगे निकल गए थे ।
आज मध्याह्न में आयोजित इस सभा में अनेकों विभूतियों की उपस्थिति रही

आज सभी कार्यक्रम केन्द्रीय धार्मिक डिमरी पंचायत के तत्वावधान में पूरे डिमरी समाज ने भगवान श्री बदरीविशाल, श्री लक्ष्मी नारायण के साथ ही ज्योतिषपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज का जयकारा लगाते हुए उनके प्रतिनिधि के रूप में मुकुंदनंद ब्रह्मचारी का भव्य स्वागत किया और परंपरा के अनुसार सभी सनातन धर्मावलंबियों ने श्री लक्ष्मी नारायण भगवान के छप्पन भोग का प्रसाद व भगवान के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया ।

 

 

श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी और ज्यौतिर्मठ(जोशीमठ) के शंकराश्चार्य अविमुक्तैश्वरानंद महाराज के प्रतिनिधि महंत मुकुंदानंद महाराज ने कर्णप्रयाग के पौराणिक डिम्मर गांव मे श्री लक्ष्मी-नारायण की महाभिषेक पूजा कर ग्रामीणों की ओर से बनाया गया 56 भोग का प्रसाद अर्पित किया।

श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी और शंकराश्चार्य के प्रतिनिधि मुकुंदानंद महाराज के डिम्मर गांव मे आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ भब्य स्वागत किया। गांव के पौराणिक चौंरीचौक मे आयोजित धार्मिक महोत्सव मे पुज्यपाद रावल ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम मे आदिकाल से श्री बदरीविशाल भगवान की पूजा-अर्चना करने वाले डिमरी पुजारियों की ओर से मुझे दिया जाने वाला सहयोग सराहनीय है। आचार्य मुकुंदानंद महाराज ने कहा कि आदिगुरु शंकराश्चार्य की ओर से स्थापित गांव डिम्मर का पौराणिक लक्ष्मी-नारायण मंदिर और यहां पर अनवरत रुप से भगवान की महाभिषेक पूजाएं विश्वकल्याणकारी हैं। इस मौके पर श्री बद्रीश डिम्मर धार्मिक कैंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी, बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी, मोहन प्रसाद डिमरी, अनिल डिमरी, भगवती प्रसाद, मुकेश डिमरी, प्रभुकांत डिमरी, नरेश खंडूड़ी, हर्षवर्धन डिमरी, संदीप डिमरी, पुनीत डिमरी सहित सेकड़ों की संख्या मे युवक मंगल दल और महिला मंगल दल के श्रद्धालु मौजूद थे।

 

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