धर्म

महाशिवरात्रि कल…इस बार भोलेनाथ को इस चीज का लगाएं भोग

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का बड़ा त्योहार है. इस साल 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा.हर बार की तरह फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से एक कैलेंडर वर्ष में होने वाली 12 शिवरात्रिओं में सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा होती है.

महाशिवरात्रि की पूजा में कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र का अत्यंत महत्व होता है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर ये तीनों चीजें अर्पित करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है. यह भी कहा जाता है कि अगर एक लाख शंखपुष्प शिवजी को अर्पित करने से आपके सभी पापों का नाश होता है. शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.

शिव पूजा सामग्री और विधि

शिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्‍त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के समुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाएं.

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में करने का विधान होता है. इस साल महा शिवरात्रि 1 मार्च मंगलवार को प्रातः 3:16 बजे से प्रारंभ होगी. शिवरात्रि की तिथि दूसरे दिन यानि चतुर्दशी तिथि बुधवार 2 मार्च को प्रातः 10 बजे समाप्त होगी.पहले पहर की पूजा 1 मार्च की शाम 6.21 बजे से रात 9.27 बजे तक, दूसरे पहर की पूजा रात 9.27 मिनट से मध्य रात्रि 12.33 बजे, तीसरे पहर की पूजा रात 12.33 बजे से सुबह 3.39 बजे तक और चौथे पहर की पूजा 2 मार्च की सुबह 3.39 बजे से 6.45 बजे बजे तक शुभ रहेगा.

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को मालपुआ बहुत पसंद है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को मालपुआ का भोग लगाने से भोले अपने भक्तों पर बहुत प्रसन्न होते हैं.

इस तरह पूजा करने से मिलता है फल

महाशिवरात्रि पर पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल का मिश्रित घोल) चढ़ाना काफी शुभ होता है. कुछ लोग इस दिन शिवलिंग की चार पहर में पूजा करते हैं. पहले पहर में जल, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे पहर में शहद से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.

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