देहरादून: राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक व सहकारिता सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम की मौजूदगी में मत्स्य विभाग ने विभाग का प्रेजेंटेशन पेश किया । उसमें मत्स्य की परियोजना निदेशक अल्पना हल्दिया ने बताया गया कि ट्राउट फिश की फार्मिंग मत्स्य विभाग यूकेसीडीपी के सहयोग से 7 जनपदों में चला रहा है। 200 टन वर्तमान समय में ट्राउट फिश की फार्मिंग हो रही है इसको इन्ही जगहों विस्तार देते हुए फार्मिंग बढ़ाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि 7 जनपदों में ट्राउट फिश की फार्मिंग 700 टन तक बढ़ाई जाए जिससे इसकी डिमांड पूरी की जा सकें।
गौरतलब है कि ट्राउट फिश ठंडे इलाकों में पाई जाती है इसके लिए ठंडा अविरल बहता जल जरूरी है।1910 में प्रकाशित वॉल्टन अपनी किताब में लिखते हैं कि देहरादून की तमाम नदियों के लिए अंग्रेज 1905 में इसके बीज इंग्लैंड से लाये थे। तब से इस ट्राउट फिश की यहाँ प्रसिद्ध हो गई। इसकी जबरदस्त डिमांड है। कद्रदान इसका स्वाद स्वादिष्ट बताते हैं। शरीर की कई बीमारियां ट्राउट फिश दूर कर देती हैं। ऐसा विज्ञान का तर्क भी है।
सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस ट्राउट फिश से गांव के ग्रामीणों का रोजगार दोगुना करना चाहते हैं। उन्होंने ऊंचे और ठंडे इलाकों में सहकारी समिति के माध्यम से समय समय में समीक्षा बैठक में इसकी फार्मिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर मत्स्य अल्पना हल्दिया ने बताया कि, ट्राउट फिश की टिहरी उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग चमोली देहरादून , बागेश्वर , पिथौरागढ़ के ठंडे इलाकों में फार्मिंग की जा रही है।
ट्राउट ₹600 से 1000 प्रति किलो तक यह आसानी से बिक जाती है। हिमालयन फिश नाम से इसकी डिमांड महानगरों में अधिक है। सचिव पुरुषोत्तम ने मत्स्य पालकों को एफएफडीए से भुगतान कराने के निर्देश दिए। उन्होंने 7 एफआईयू जो बनाये जा रहे हैं, उन पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाय। देहरादून में मत्स्य विभाग की प्रोसेसिंग प्लांट यूनिट की स्थापना हो रही है जिसमें 10 टन मछली की फार्मिंग प्रतिदिन होगी। मुख्य परियोजना निदेशक पुरषोत्तम ने इस पर लक्ष्य के साथ काम करने के निर्देश मत्स्य अफसरों को दिए हैं।