देहरादून: श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल द्वारा आहूत की गई प्रेस वार्ता में उठाए गई बातें पूरी तरीके से निराधार सत्य से परे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 4 महीने के बाद भी हार की बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं ।
गोदियाल के साथ कांग्रेस के बड़े नेता गण चुनावी हार की बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पूरी प्रमाणिकता के साथ यह बात सिद्ध हो रही है कि बिनसर मंदिर में बिना टेंडर प्रक्रिया के कराए गए कार्य श्री बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मंदिर अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन है। मंदिर अधिनियम के तहत मंदिर समिति को श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ के 45 मंदिरों की पूजा व्यवस्था व प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया है। इससे बाहर जाकर के गणेश गोदियाल के कार्यकाल में बिनसर मंदिर जीर्णोद्धार पोखरी शिवालय व प्रतापनगर का सड़क निर्माण पूरी तरीके से मंदिर अधिनियम का उल्लंघन है। जिस व्यक्ति के पक्ष में इतने मुखर होकर के गोदियाल जी आज बचाव की मुद्रा में थे उस व्यक्ति को नियमों के विरुद्ध जाकर मात्र 2 वर्ष में अधिशासी अभियंता बना दिया गया।
गोदियाल के द्वारा यह कहना हास्यास्पद है कि मेरी जांच के लिए विभागीय मंत्री को शिकायत ना कर डॉक्टर धन सिंह रावत को शिकायत की गई है। कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत जी सरकार की ओर से चमोली जिले के प्रभारी मंत्री हैं और श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय चमोली स्थित जोशीमठ और बदरीनाथ धाम में है। इसी कारण मेरे द्वारा शिकायती पत्र आग्रह के साथ प्रभारी मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत को दिया गया। बड़ा सवाल यह है आखिर जांच से इतना क्यों घबराए हैं मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल। गोदियाल ने कहा कि मैंने मंदिर समिति से मानदेय नहीं लिया लेकिन गोदियाल यह बात भूल गए कि वह इस दौरान संसदीय सचिव और विधायक के पद पर थे एक व्यक्ति 2 पदों का लाभ कैसे ले सकता है। वह इस विषय से ध्यान भटका कर के स्वास्थ्य और सहकारिता के विषयों में उलझा के रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि गणेश गोदियाल जी के द्वारा बनाए गए अपने क्षेत्र महाविद्यालय में गांव वालों की दान दी गई भूमि पर ग्रामीणों को नौकरी पर ना रखकर अपने रिश्तेदारों और चहेतो को रखा गया है ।
आखिर सिर्फ जांच के नाम से ही क्यों घबरा रहे हैं गणेश गोदियाल अभी तक तो जांच शुरु भी नहीं हुई है जांच होने के बाद सच सबको पता लग जाएगा और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।
आशुतोष डिमरी