देहरादून: हरक सिंह रावत वन मंत्री के साथ ही श्रम मंत्री भी रहे। उनके मंत्री रहते दोनों ही विभागों की कई तरह की चर्चाएं रही। श्रम विभाग को लेकर तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ भी उनकी तनातनी रही। पूर्व सीएम ने उनको श्रम कर्मकार कल्याण बोर्ड से भी हटा दिया था। अब भले ही हरक सिंह रावत ना तो मंत्री हैं और ना विधायक ही हैं, लेकिन श्रम विभाग में उनके कार्यकाल फिर चर्चाओं में हैं।
इस मामले में नया मोड़ सामने आया है। चुनाव के दौरान लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत और हरक सिंह रावत के बीच खूब बयानबाजी हुई थी। तब विधायक दिलीप रावत ने वन विभाग के कामों की जांच की मांग की थी, लेकिन भाजपा के फिर से सत्ता में आने के बाद उन्होंने हरक सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है। इससे हरक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में उन्होंने श्रम विभाग में 2017-2018 से 2021 तक में हुई अनियमिताओं की सीबीआई जांच की मांग की है। पत्र में लिखा है कि श्रम विभाग में 2017-2018 से 2021 तक श्रम विभाग की ओर से श्रमिकों के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए थे। जिसके तहत श्रमिकों को सिलाई मशीनें, साइकिलें, लाईटें और विभिन्न प्रकार के यंत्र एवं श्रमिकों की लड़कियों के विवाह के लिए धनराशी दी गई।
उन्होंने आगे कहा है कि संज्ञान में आया है कि इनके आवंटन में भारी अनियमितताएं हुई है। मानकों को ताक पर रख कर आवंटन किया गया है। यह भी आरोप लगाया है कि कुछ तथाकथित स्वयंसेवी संस्थाओं को गलत तरीके से पैसा देकर सरकार धन की बंदर बांट की गई है। योजना का लाभ वास्तविक श्रमिकों को नहीं मिल पाया है। विधायक दिलीप रावत का कहना है कि सरकार ने योजनाएं चलाई थी, उनका लाभ वास्तिविक लोगों को नहीं मिल पाया है। इस मामले में सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है। उनको उम्मीद है कि सरकार इसमें जरूर कोई बड़ा कदम उठाएगी।