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उत्तराखंड से बड़ी खबर: सैनिटाइजर को लेकर बड़ा खुलासा, 56 फीसदी सैनिटाइजर मानकों पर खरे नहीं

देहरादून: भारत में कोरोना आने के बाद सैनिटाइजर लगातार मांग बढ़ गई है,क्योंकि कोरोना में ये जरुरी हो गया है और साथ ही कोविड गाइडलाइन में भी बार बार सैनिटाइजर का प्रयोग करने की अपील की गई है। कोरोना की दस्तक के बाद सैनिटाइजर की खपत बढ़ने से बाजार में कई कंपनी और कई रंगों के सैनिटाइजर ब्रिकी के लिए आए लेकिन स्पेक्स संस्था ने सैनिटाइजर पर सवाल खड़े किए हैं। स्पेक्स ने मई-जून में उत्तराखंड के सभी जिलों में सैनिटाइजर टेस्टिंग अभियान चलाया जिसमें 1050 नमूने इकट्ठे किए गए जिसमें 578 नमूनों में अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई।कुछ लोगों ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सेंटेंस आर बाजार में बेचने शुरू कर दिए।

56% सैनिटाइजर में अल्कोहल मांगों के अनुरूप नहीं पाए गए

इस प्रक्रिया को समझने के उद्देश्य से स्पेक्स ने अपने साथियों के साथ मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक अध्ययन किया जो कि 3 मई से 5 जुलाई 2021 तक किया गया।नमूनों में एल्कोहल परसेंटेज के साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड, मेथेनॉल और रंगों की गुणवत्ता का परीक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया।परीक्षण करने के बाद जानकारी मिली कि लगभग 56% सैनिटाइजर में अल्कोहल मांगों के अनुरूप नहीं पाए गए. यानी 1050 नमूनों में से 578 नमूने फेल पाए गए हैं, 8 नमूनों में मेथेनॉल पाया गया और लगभग 112 नमूनों में हाइड्रोजन पराक्साइड का प्रतिशत मात्रा मांगों से अधिक पाई गई।साथ ही 278 नमूनों में टॉक्सिक रंग पाए गए।

आपको बता दें कि सैनिटाइजर में अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा 60-80 प्रतिशत होनी चाहिए और हाइड्रोजन पेरोकसाइड की मात्रा 0.5 प्रतिशत से ज़्यादा नही होनी चाहिए साथ ही मेथनॉल भी नही होना चाहिए।

उत्तराखंड के 13 जिलों में अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं था

अल्मोड़ा जिले में 56%

बागेश्वर में 48%

चंपावत में 64%

पिथौरागढ़ में 49%

उधम सिंह नगर में 56%

हरिद्वार में 52%

देहरादून में 48%

पौड़ी में 54%

टिहरी में 58%

रुद्रप्रयाग में 60%

चमोली में 64%

उत्तरकाशी में 52%

नैनीताल में 56% अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं था।साथ ही संस्था का कहना है कि सैनिटाइजर में एल्कोहल की पर्याप्त मात्रा नहीं होने के कारण भी उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या शायद बढ़ी हो।

मौत तक हो सकती है

मानकों के विपरीत बनाये गये सैनिटाइजर पर ये भी दावा किया गया है कि नकली सैनिटाइजर से लोगों की मौत तक हो सकती है। मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे ड्रमेटाइटिस हो सकता है। तीव्र मेथनॉल की मात्रा होने से सिरदर्द, कमजोरी, उनींदपर, मिचली, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन के साथ-साथ बेचैनी के साथ संभवत: मौत भी हो सकती है।

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