

देहरादून: देहरादून में एक अनूठा मामला सामने आया है। यहां कुछ लोग शहर के पुराने और अपने जमाने के मशहूर सिनेमाहॉल छायादीप को बेचने निकले थे और वो भी फर्जी कागज बनवा कर। ठगों ने पूरी तैयारी भी कर ली थी कि ऐन वक्त पर पुलिस पहुंच गई और ठगों का पूरा खेल बिगड़ गया। इस कहानी में एक और ट्विस्ट है वो ये कि ठग प्रापर्टी के असली मालिक को ही फर्जी दस्तावेज के सहारे प्रापर्टी बेचने चले थे।
दरअसल नेशविला रोड पर छायादीप सिनेमा हाल है। ये प्रापर्टी तनमीत सिंह की है। तनमीत सिंह ने प्रापर्टी की देखरेख एवं कोर्ट पैरवी के लिए रकम सिंह को रख रखा है। हाल ही में रकम सिंह ने तनमीत को फोन किया कि क्या आप किसी को अपनी प्रापर्टी बेच रहें हैं क्या? तनमीत ने मना किया। कुछ देर बाद रकम ने फिर फोन कर बताया कि आपके नाम से 50 लाख की रजिस्टर्ड रसीद बनी है। ये रसीद किसी संदीप जैन और रविंद्र सिंह के पास है। इस रसीद पर दो गवाहों सौरभ पोखरियाल और लक्ष्मीचंद के दस्तखत भी हैं।
इस सूचना के बाद तनमीत ने प्रापर्टी बेचने की कोशिश में लगे लोगों से संपर्क किया। डील को लॉक करने के लिए मीटिंग का दिन तय हो गया। तय हुआ कि पैसिफिक होटल में मुलाकात होगी और बात पक्की कर ली जाएगी।इसी दौरान तनमीत सिंह ने पुलिस को भी जानकारी दे दी। तनमीत ने बता दिया कि वो अपनी ही प्रापर्टी को फिर से खरीदने के लिए ठगों से मिलने जा रहें हैं। पुलिस ने भी तनमीत का साथ दिया और उनके बताए समय पर ही पैसिफिक होटल में छापा मार दिया। वहां मीटिंग के लिए चार शख्स पहुंचे हुए थे। पुलिस ने चारों को अरेस्ट कर लिया।
पता चला कि हिरासत में लिए गए चारो आरोपी प्रॉपर्टी डीलिंग से जुड़े हुए हैं। उन्हें छायादीप सिनेमाहाल के मालिक का नाम तो पता था लेकिन मालिक को पहचानते नहीं थे। वहीं उन्हे एक कब्जेदार के बीच चल रहे विवाद के बारे में जानकारी थी। ठगों ने सिनेमाहॉल के कब्जेदार की ओर से एक फर्जी सुलहनामा भी बनवा लिया था। ठगों ने तनमीत सिंह के दस्तखत भी हूबहु कर लिए। दिलचस्प ये कि वो असली तनमीत सिंह से बात करते रहे और उन्हें पता भी नहीं चला। प्रापर्टी के मालिक ने भी चालाकी दिखाई और ठगों के 13 करोड़ के ऑफर पर निगोशिएट करने के लिए एक दिन का समय ले लिया और फिर अगले दिन दिल्ली से देहरादून पहुंच गए।
ठगी की कोशिश की इस अनोखी दास्तान सुन कर पुलिस वाले भी हैरान रह गए। पुलिस वाले अब इन चारों ठगों के बारे में जानकारी जुटा रहें हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि पहले भी इन्होंने फर्जी कागजातों के आधार पर देहरादून में प्रापर्टी की खरीद फरोख्त की हो।