हरिद्वार: आध्यात्मिक गुरू और उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का 71वां जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर अनेक राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए दीर्घायु की कामना की।
आध्यात्मिक गुरू और उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के 71वें जन्मोत्सव के अवसर पर बुधवार को जहाँ एक ओर देश के कोने कोने से आये उनके अनुयायियों ने उनका जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया वहीं दूसरी ओर राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण हस्तियों ने हरिद्वार स्थित उनके प्रेम नगर आश्रम में पहुंचकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए दीर्घायु की कामना की। गया।
इस मौके पर प्रेम नगर आश्रम में आयोजित एक सद्भावना सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी व उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि एकता व अध्यात्म की शक्ति से ही भारत विश्व गुरु बनेगा।
उन्होंने कहा कि जब-जब आध्यात्मिक महापुरुष आते हैं राजनीति में तब कल्याणकारी मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होने कहा कि रेल राज्य मंत्री बनने पर जब ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कराया तो लोगों को शक हुआ कि यह कैसे संभव होगा? पर वह आज कार्यान्वित हो रहा है। इस रेल लाइन के बनने से उत्तराखंड के साथ साथ यहाँ आने वाले अनगिनत तीर्थ यात्रियों को भी लाभ होगा।
महाराज ने कहा कि डिफेंस कमेटी में वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा आसान नहीं था पर उस को सुलझाने में हमने मदद की। हमारा देश रूस व अमेरिका के सेटेलाइट टेक्निक पर चलता था हमने स्वदेशी जीपीएस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस विषय पर बात करके वह कार्य भी पूरा कराया, कुछ और भी कराना बाकी है। हमारे वैज्ञानिकों को अमेरिका का वीजा नहीं मिलता था वह भी वार्ता के जरिए खुलवाया और पर्वतीय क्षेत्र में विकास हेतु गैरसैंण को राजधानी हेतु बजट स्वीकृत कराया और वह सपना साकार हुआ।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और आध्यात्मिक गुरू सतपाल महाराज ने जीवन में अध्यात्म की महत्ता को बताते हुए कहा कि आज भी वैज्ञानिक कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने जो गीता सुनाई उसका स्पंदन वायुमंडल में विद्यमान है और उसे आप सुन सकते हैं। ऐसे ही कोडेड इंफॉर्मेशन सूचना के अंतर्गत आज सूचना क्रांति से सूचनाओं का भंडार उपलब्ध हो रहा है।
उन्होंने देश की समस्याओं के समाधान व समग्र विकास हेतु एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जब देवप्रयाग में सभी धाराएं मिलकर एक होकर आगे बढ़ी तब वह गंगा बनकर समुद्र तक पहुंच सकीं। लोगों को विश्वास नहीं था कि कोरोना वैक्सीन बन पाएगी पर भारत ने वैक्सीन बनाकर सबको सुलभ कराई और अनेक देशों को भी लाभ पहुंचाया। अतः हमारे ऋषियों ने सारे संसार की मंगल कामना की, उन्होंने अपनी कौम या बिरादरी मात्र के लिए नहीं बल्कि सर्वे भवंतु सुखिनः के उदघोष से समस्त विश्व के कल्याण की कामना की।