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भारत में यहां है होली के समय श्री रामलीला आयोजन की अनूठी परंपरा….

– आशुतोष डिमरी

यूं तो पूरे भारत में श्री रामलीला पूजन, नाट्य मंचन का महोत्सव आमतौर पर शारदीय नवरात्र व दशहरे के अवसर पर आयोजित होता है। लेकिन भारत के उत्तराखंड के सीमांत जिले में एक ऐसा गांव है जहां श्री रामलीला का आयोजन ईस्ट पूजन के तौर पर वसंत ऋतु में होली के समय होने की अनूठी प्राचीन परंपरा है। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली में स्थित भारत के सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बद्रीनाथ के पुजारी समुदाय डिमरियों के मूल ग्राम डिम्मर की। डिमर में रामलीला का आयोजन बसंत ऋतु में होली के समय होने की प्राचीन परंपरा व पौराणिक मान्यता है। यही वजह है कि रामलीला आरंभ होने की तिथि व मुहूर्त निकालने का समय भी बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि के साथ ही निकाला जाता है। जहां एक ओर टेहरी नरेश के राज दरबार में श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि व मुहूर्त निश्चित किया जाता है वहीं डिम्मर गांव में भगवान विष्णु की पूजा के निमित्त श्री रामलीला ईस्ट पूजन की तिथि घोषित की जाती है। यह रामलीला हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व होने की प्राचीन परंपरा है। उल्लेखनीय है कि प्रामाणिक इतिहास के तौर पर ग्राम डिमर को गंतव्य तक पहुंचने के लिए मार्ग के रूप में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ धाम की स्थापना के समय अपने संध्या व वंदन स्थल के रूप में चुना था। हालांकि उस समय डिम्मर गांव निर्जन स्थान के रूप में रहा होगा। डिमर गांव में बद्रीनाथ धाम की ही तर्ज पर जल का कुंड व जल कुंड के ऊपर श्री लक्ष्मी नारायण का मंदिर विद्यमान है। बद्रीनाथ धाम की ही तरह डिमर गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर में प्रतिदिन भगवान की अभिषेक व भोग पूजा संपन्न की जाती है। इस वर्ष की रामलीला का आयोजन 24 मार्च से आरंभ हो रहा है श्री रामलीला मंडली डिम्मर के अध्यक्ष संजय डिमरी प्रभुकांत ने बताया कि 24 मार्च से आरंभ होकर 10 दिवसीय रामलीला ईस्ट पूजन व मंचन के दौरान लोग इसमें आस्था व विश्वास के भाव को लेकर के भाग लेंगे।

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