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पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बद्रीनाथ केदारनाथ का मास्टर प्लान सीएम तीरथ की शीर्ष प्राथमिकता में। दिल्ली से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर दिए बैठक में अधिकारियों को निर्देश….

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ और बद्रीनाथ के मास्टर प्लान को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही पहले दिन से शीर्ष प्राथमिकता में रखा है। सीएम ने मुख्य सचिव व पर्यटन सचिव को बद्रीनाथ और केदारनाथ से संबंधित मास्टर प्लान व तमाम कामों पर परित गति से निर्णय लेने के साथ अमलीजामा पहनाने के निर्देश दिए हैं। यही वजह है कि दिल्ली पहुंचने के बाद भी सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बद्रीनाथ और केदारनाथ के मास्टर प्लान से जुड़ी अहम बैठक में अधिकारियों को निर्देश जारी किए । रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि परियोजना का क्रियान्वयन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन के अनुरूप किया जाय और इस प्रक्रिया में स्थानीय व्यक्तियों के हितों को सर्वोपरि रखा जाय।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर द्वारा श्री केदारनाथ धाम के पुर्ननिर्माण एवं श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट टाउन के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्तुतीकरण दिया गया। उन्होंने अवगत कराया कि श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट टाउन प्लान के अन्तर्गत प्रस्तावित विभिन्न कार्यों यथाः-मंदिर परिसर विकास, प्लाजा विकास, रोड निर्माण, घाटों का निर्माण कमांड कंट्रोल सेंटर, स्ट्रीट फसाड, साइनेज की स्थापना, रास्ते पर चलने वाले संकेत आदि विकास कार्य किये जाएंगे। श्री केदारनाथ धाम के पुर्ननिर्माण के अन्तर्गत मंदाकिनी नदी में आस्था पथ, कतार प्रबन्धन, तीर्थ यात्रिओं को बैठने की व्यवस्था तथा रेन शेल्टर का निर्माण, आदि विकास कार्य किये जाने प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री द्वारा सी0एस0आर0 के रूप में श्री केदारनाथ के विकास कार्यों के लिए एकत्रित राशि रू0 128.00 करोड़ तथा श्री बद्रीनाथ धाम के विकास कार्यों के लिए एकत्रित राशि रू0 245.00 करोड़ का उपयोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यथासमय पूर्ण करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया।
मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को निर्देश दिये कि विकास कार्यों के अन्तर्गत पंडासमाज एवं स्थानीय हितधारकों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाय और विस्थापन की सम्भावनाओं को न्यूनतम किया जायय यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो स्थानीय व्यक्तियों से वार्ता कर उनकी सहमति प्राप्त कर ली जाय तथा उनके पुर्नवास को सर्वप्रथम सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में जबरन अधिग्रहण नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि केदारनाथ रोपवे को मूर्त रूप देने के लिए सकारात्मक प्रयास किये जायं जिससे कि यात्रा सीजन में श्रद्धालुओं को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े और उन पर अधिक आर्थिक बोझ भी न पड़े। उन्होंने 2013 की आपदा में विस्थापित लोगों के पुनर्वास पर भी अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट ली।
बैठक में ओम प्रकाश, मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड सरकार एवं दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन, जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग, जिलाधिकारी चमोली विडियो कांफ्रेंसिग द्वारा,, डा0 परागमधुकर धकाते, विशेष सचिव, मुख्यमंत्री, एस0डी0सिंह, मुख्य वन संरक्षक, श्रीमती इला गिरी, अपर स्थानिक आयुक्त, नई दिल्ली, उपस्थित थे।

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