गुणी के गुण अपनाकर आप भी गुणी बन सकते हैं
शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008
दर्पण को संस्कृत भाषा में आदर्श कहा जाता है। जिस तरह से हम अपना मुख देखने के लिए और उसमें रह गयी कमियों को देखकर सुधारने के लिए दर्पण का प्रयोग करते हैं वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी को आदर्श बनाए रखता है। उस आदर्श में निहित गुण जब व्यक्ति को प्रभावित करते हैं तो वह व्यक्ति भी उन गुणों को अपनाने का प्रयास करता है। जब हम उन गुणों को अपना लेंगे तो हम भी गुणी हो जाएंगे। जैसे यदि हमें भगवान् के गुण पसन्द हैं तो हमें उनके गुणों को अपनाना होगा। जब हम उन भगवदीय गुणों को अपनाएंगे तो हम भी भगवान् जैसे आदरणीय हो जाएंगे।
उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ ने चातुर्मास्य प्रवचन के अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि जब देवर्षि नारद जी को भगवान् श्रीकृष्ण की दिनचर्या देखने की इच्छा हुई तो वे उनके पास पहुँच गये। उन्होंने देखा कि एक ही भगवान् अनेक रूप में अपनी 16,108 रानियों के साथ आनन्द से नियमानुसार एक सद्गृहस्थ जैसी आदर्श दिनचर्या का पालन करते हुए रह रहे हैं। और जब सभा में जाते हैं तो वही अनेक फिर एक रूप भी हो जाते हैं। भगवान् में एक से अनेक और अनेक से पुनः एक होने की अद्भुत कला है।
पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने बताया कि भगवान् श्रीकृष्ण की दिनचर्या ब्रह्म मुहूर्त से आरम्भ होती है। भगवान् सबेरे उठकर सबसे पहले अपने आत्मस्वरूप का ध्यान करते हैं। हम सबको भी अपने सच्चे स्वरुप का ध्यान प्रतिदिन सुबह करना चाहिए।
*राष्ट्र माता गौ मंगलम् अभियान की हुई घोषणा*
शङ्कराचार्य जी महाराज ने गौ संरक्षण के लिए भविष्य में चलाए जाने वाले अभियान का नामकरण किया। उन्होंने कहा कि गौ ही हमारे राष्ट्र की माता है और गौ का मंगल होने से केवल राष्ट्र ही नहीं, अपितु समस्त विश्व का कल्याण होगा। इसीलिए गौ रक्षा के सन्दर्भ में भविष्य में चलने वाले अभियान का नाम *राष्ट्र माता गौ मंगलम् अभियान* होगा। आज कृष्ण जन्माष्टमी है और भगवान् श्रीकृष्ण सबसे बडे गौ प्रेमी थे इसीलिए आज उनके पावन जन्मोत्सव के दिन ही इस अभियान का नामकरण हुआ है।
पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी ने अद्वैत वेदान्त पर अपने गूढ विचार व्यक्त किए। जगद्गुरुकुलम् के छात्रों ने भजन प्रस्तुति किए। ज्योतिष्पीठ पं आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी ने विरुदावली का गान किया।
*शङ्कराचार्य जी ने भगवती मन्दिर में की कृष्ण जन्मोत्सव की विशेष पूजा*
पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज ने रात्रि 11.30 बजे भगवती राजराजेश्वरी के मन्दिर में भगवान् श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की विशेष पूजा-अर्चना की। ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी ने श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध के 5 अध्यायों का संस्कृत में पारायण किया। तत्पश्चात् महाआरती सम्पन्न हुई। भगवान् श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को झूले में विराजमान कराकर झुलाया गया। नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की गीत से सभी भीत झूमने लगे। इसके पश्चात् शङ्कराचार्य जी महाराज ने राधा कृष्ण मन्दिर में दर्शन पूजन किया। उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन अरविन्द मिश्र जी ने व संचालन पं राजकुमार शास्त्री जी ने किया।
प्रमुख रुप से ब्रह्मचारी ध्यानानन्द जी, ब्रह्मचारी विमलानन्द जी, ब्रह्मचारी भवानन्द जी, साध्वी शारदाम्बा जी, साध्वी पूर्णाम्बा जी, सुन्दर पाण्डेय जी
कार्यक्रम में मुख्य रूप से , पंडित आनंद तिवारी जगद्गुरुकुलम् संस्कृत विद्यापीठ के प्रधानाचार्य , पद्मनाभधर् द्विवेदी, उप प्रधानाध्यापक शारदानंद द्विवेदी सोहन तिवारी माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारी,दीपक शुक्ला,अमित तिवारी,पुरसोत्तम तिवारी
आशीष तिवारी योगेश दुबे, अरविंद पटेल , बद्री चौकसे,नारायण गुप्ता ,जगदीश पटैल,कलू पटैल,अरविंद पटैल, अजय विश्कर्मा,सत्येंद्र मेहरा,राम सजीवन शुक्ला,कपिल नायक सहित श्री मद भागवत पुराण का रस पान करने बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही सभी ने कथा का रसपान कर अपने मानव जीवन को धन्य बनाया भागवत भगवान की कथा आरती के उपरांत महाभोग प्रसाद का वितरण किया गया
चातुर्मास्य के अवसर पर पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज का गीता पर प्रवचन प्रातः 7.30 से 8.30 बजे तक भगवती राजराजेश्वरी मन्दिर में होता होता है जिसका प्रसारण 1008.guru इस यू ट्यूब चैनल पर प्रतिदिन होता है।