उत्तराखंड: महिला पुलिस कर्मियों की सुरक्षा की मांग पर हाईकोर्ट ने सरकार से माँगा जवाब
देहरादून: कोरोना काल में पुलिस ने फ्रंट पर आकर लोगों को जागरूक किया। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर पुलिस कर्मियों की सुरक्षा कौन करेगा और खास तौर पर महिला पुलिस कर्मियों की जो गर्भवती हैं और जिनके बच्चे 5 साल से कम उम्र के हैं।
कोविड की महामारी में फ्रंट लाइन में तैनात महिला पुलिस कर्मियों जो गर्भवती हैं, नवजात शिशु हैं यह वह मां जिनके बच्चों की आयु 5 वर्ष से कम है इनकी सुरक्षा की मांग करते हुए किच्छा निवासी राज्य आंदोलनकारी सुभाष तनेजा द्वारा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई है । याचिका में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए, इन्हें सुरक्षित रखने की मांग की गई है । मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार से तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
जनहित याचिका दायर कर कहा कि आशंका जताई जा रही है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो ये बच्चों के लिये घातक हो सकती है। याचिका के अनुसार पुलिस विभाग में तैनात, गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु की माँ या वो माँ जिनके बच्चों की उम्र पांच वर्ष से कम है, इन्हें खतरा हो सकता है। याचिकाकराता ने प्रार्थना की है कि ऐसी महिला पुलिसकर्मियों को अगर हो सके तो छुटटी दे दी जाए या फील्ड जाॅब न देकर ‘वर्क फ्राॅम होम’ या ऑफिस वर्क दिया जाए । ऐसा करने पर ये महिला पुलिसकर्मी अपने को सुरक्षित रखने के साथ ही अपने छोटे छोटे बच्चों के जीवन की सुरक्षा कर सकेंगी ।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार से तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है । याचिका में अगली सुनाई आठ जुलाई को होनी तय हुई है ।