उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा के पहले पड़ाव यमुनोत्री में मां यमुना मंदिर के समीप ही भाई शनिदेव के मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। खरसाली गांव मां यमुना का मायका है और शीतकाल में जब यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तो मां यमुना की डोली खरसाली गांव में स्थित यमुना मंदिर में विराजमान होती है।
बैसाखी के पावन पर्व पर सुबह सात बजे यमुना के शीतकालीन पड़ाव खरशाली खुशीमठ में मां यमुना के भाई शनिदेव समेश्वर महाराज मंदिर के कपाट श्रद्वालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। दोपहर बाद समेश्वर देवता की सिरोही (देवता के निशाण) को पुजारी मंदिर से बाहर लाए।
चारधाम यात्रा के पहले पड़ाव यमुनोत्री में मां यमुना मंदिर के समीप ही भाई शनिदेव के मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। शनिदेव धडीचौंरी ( मंदिर का आंगन) में मौजूद श्रद्वालुओं को आशीर्वाद दिया। इस दौरान क्षेत्र के गीठ ओजरी पट्टी के बारह गांव के अलावा बाहर से श्रद्वालु अपने आराध्य देवता समेश्वर शनिदेव की डोली के साथ तांदी नृत्य किया। साथ ही आराध्य देव से देश, प्रदेश की खुशहाली और समृद्वि की कामना की।
शनिदेव के भक्त पवन प्रकाश उनियाल ने बताया है कि यमुनोत्री जाने वाले श्रद्वालु यहां पहुंचकर शनिदेव के दर्शन भी कर सकेंगे। खरसाली गांव मां यमुना का मायका है और शीतकाल में जब यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तो मां यमुना की डोली खरसाली गांव में स्थित यमुना मंदिर में विराजमान होती है।