हल्द्वानी: 38 साल पहले 1984 में सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के दौरान लापता हुए उत्तराखंड के शहीद चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर आज हल्द्वानी पहुंच गया है। जहाँ से शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर देशभक्ति के जयघोष के साथ में उनके घर पर लाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग शहीद हर्बोला को श्रद्धांजलि देने के लिए गली व मकान छतों पर मौजूद रहे। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि स्थल पर लाया गया है। जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ऑपरेशन मेघदूत में बलिदान हुए चन्द्रशेखर हर्बोला को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनकी स्मृति को हमेशा यादों में जिंदा रखने के लिए शहीद धाम में लगाया जाएगा। सीएम ने कहा कि चंद्रशेखर के बलिदान पर उत्तराखंड ही नहीं पूरा देश गर्व करता है।
बता दें कि 13 अप्रैल 1984 को दुनिया के सबसे दुर्गम युद्धस्थल सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे की सूचना पर ऑपरेशन मेघदूत के तहत श्रीनगर से भारतीय जवानों की कंपनी पैदल सियाचिन के लिए निकली थी। इस लड़ाई में प्रमुख भूमिका 19 कुमाऊं रेजीमेंट ने निभाई थी। द्वाराहाट (अल्मोड़ा) के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19-कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान 20 सैनिकों की टुकड़ी ग्लेशियर की चपेट में आ गई थी। इनमें लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला समेत किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही। ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के दौरान लापता हुए शहीद चंद्रशेखर हरबोला (बैच संख्या 5164584) का पार्थिव शरीर 38 साल बाद बर्फ के नीचे बरामद हुआ। इसकी सूचना जैसे ही उनकी पत्नी को मिली, वह फूट फूटकर रो पड़ीं। तमाम स्मृतियां जो धूंधली हो रही थीं फिर से ताजा हो गईं। शहीद का परिवार दुख और गर्व में डूबा हुआ है। लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला तब मात्र 28 वर्ष के थे।