उपेक्षा का दंश झेल रहा है सिमली औद्योगिक क्षेत्र
प्रकाश चंद्र डिमरी
कर्णप्रयाग: शासन-प्रशासन और विभागीय लापरवाही से औद्योगिक परिक्षेत्र सिमली मे अनेकों अव्यवस्थाएं दृष्टिगोचर हो रही हैं। 90बे के दशक मे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से कर्णप्रयाग तहसील के सिमली मे लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए यूपीएसआईडीसी ने स्थानीय कास्तकारों से ओने-पौने दामों पर उपज भूमि क्रय की थी और उद्योग विभाग ने उद्योगों की स्थापना के लिए उद्यमियों को विभिन्न बैंकों के माध्यम से लाखों रुपये का ऋण सब्सिडी पर दिया था।
लेकिन यहां पर चंद उद्योगों की स्थापना के अलावा मानकों के विपरीत भवनों का निर्माण कर किराए पर संचालित किए जा रहे हैं। वहीं परिक्षेत्र मे मास्टर प्लान के तहत लाखों की लागत से बना मोटर मार्ग और नालियां खस्ताहाल बने हैं। जबकि पिंडर नदी से हो रहे भारी कटाव से औद्योगिक परिक्षेत्र के दुग्ध डेरी, एफसीआई गोदाम, बेस अस्पताल सिमली सहित पूरा परिक्षेत्र खतरे की जद मे है। स्थानीय लोगों पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुरेश डिमरी, यूकेडी के जिला संयोजक उमेश खंडूडी, महेश चंद्र आदि ने कहा कि एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के साधन मुहैया कराने के लिए अनकों योजनाओं को संचालित करने के दावे कर रही है।
वहीं दूसरी ओर जनपद का एकमात्र औद्योगिक परिक्षेत्र सिमली की व्यवस्था को दुरस्त नही किए जाने से सरकारी दावों की पोल खुल रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द औद्योगिक परिक्षेत्र सिमली मे ब्याप्त खामियों को दुरस्त नहीं किया गया तो वृहद आंदोलन किया जाऐगा।