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जोशीमठ में लापरवाही कहे या अनदेखी 47 वर्षों में नहीं हुआ इन सुझावों पर अमल जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है

सात सुझावों पर नहीं हुआ अमल इन 47 वर्षों में

 जोशीमठ।

चमोली जिले के जोशीमठ में 603 घरों में दरारे आ चुकी है। ज्योतिर्मठ, त्रोटकाचार्य मठ, माधवश्रम मठ में स्थापित शिवालय में भी दरार आ चुकी है। इस बीच कल देर शाम को जोशीमठ पहुंचे ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योर्तिमठ के साथ ही जोशीमठ नगर क्षेत्र में आई दरारों का जायजा लेने के लिए नगर क्षेत्र के भ्रमण पर निकले हैं। जोशीमठ में मकानों के दरकने का सिलसिला जारी है रोजाना 20 से अधिक मकानों में दरारें आने लगी है ।

जोशीमठ 1976 में जब बड़ा भू धंसाव आया तो तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर को बचाने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई लेकिन जोशीमठ को बचाने के लिए कमेटी ने जो तत्कालिक कदम सुझाव दिए उन्हें सरकार ने दरकिनार कर दिया इसलिए आज 48 साल के बाद जोशीमठ फिर से तबाही के मुहाने पर खड़ा है।

इस बार तबाही की आशंका इसलिए बड़ी है कि तब का यह कस्बा आज एक नगर का आकार ले चुका है जोशीमठ बद्रीनाथ हेमकुंड फूलों की घाटी औली जाने और नंदा देवी बायोस्फीयर  क्षेत्र में पर्वतारोहण का बेस कैंप है करीब 30000 की आबादी वाले नगर में 100 से ज्यादा होटल और होमस्टे है यात्रा सीजन में कई बार यहां ओवर क्राउड की स्थिति बन जाती है ।

 

इसलिए नगर पर आये संकट को टाला नहीं गया तो स्थिति बेहद खराब हो सकती है 1976 में जोशीमठ के लिए तत्कालीन मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्र की अध्यक्षता में बनाई गई 18 सदस्यों वाली समिति ने पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट भी शामिल रहे चंडी प्रसाद भट्ट बताते हैं कि उनके द्वारा 11 मार्च 1976 में जोशीमठ में शुरू हो रहे भू धंसाव  पर एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को तत्काल जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया था।

भट्ट का कहना है कि इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ स्थिति का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की और सरकार को दी थी

 

कमेटी ने की थी सिफारिशें

भारी निर्माण कार्यों पर रोक लगे तत्काल प्रभाव से

आवश्यक कार्यों के निर्माण के लिए भूमि की भार वाहन क्षमता के अनुसार ही अनुमति दी जाए

सड़क व अन्य निर्माण में बिल्डरों को खोजने और विस्फोटों पर रोक लगे

नदी किनारे से पत्थरों की निकासी पर रोक लगे

जोशीमठ के निचले हिस्से में वनीकरण किया जाए अर्थात वृक्षारोपण किया जाए

जहां जमीन रख रही है उसे योजनाबद्ध तरीके से भरा जाए

जोशीमठ नगर में नैनीताल शहर की तरह ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाए

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