देहरादून; उत्तराखंड रोडवेज बस के ड्राइवर और कंडक्टरों को वर्दी भत्ता नहीं देना प्रबंधन को भारी पड़ गया। चड़ीगढ़ में परिवहन विभाग की टीम ने उत्तराखंड रोडवेज के ड्राइवर को बगैर वर्दी में देख बस रोकी दी। पता चला कि ड्राइवर के पास न तो डीएल था और न ही बस के कागजात। इस पर ड्राइवर को 25 हजार रुपये का चालान थमा दिया।
यह चालान रोडवेज मुख्यालय तक पहुंचा तो अफसरों को वर्दी भत्ता देने की याद आ गई। कोरोना संकट शुरू होने के बाद रोडवेज ने कर्मचारियों के भत्ते और कुछ सुविधाएं बंद कर दी थीं। इस बार चारधाम के साथ पर्यटक सीजन भी अच्छा रहा। रोडवेज ने अच्छी कमाई, लेकिन कर्मचारियों के भत्ते बहाल करना भूल गया। इसका खामियाजा रोडवेज को अब खुद भुगतना पड़ रहा है।
शुक्रवार को काठगोदाम डिपो की बस चंडीगढ़ पहुंची तो ड्राइवर ने वर्दी नहीं पहनी थी। परिवहन विभाग की टीम ने बस रोकी और चेकिंग की। ड्राइवर के पास डीएल और बस के कागजात नहीं थे। टीम ने वर्दी नहीं पहनने पर 500, नेम प्लेट मामले में 500, डीएल मामले में 5000, परमिट मामले में 10 हजार, प्रदूषण प्रमाण पत्र मामले में 2000, बीमा मामले में 2000 और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं होने पर 5000 रुपये का चालान थमा दिया। यह चालान रोडवेज मुख्यालय पहुंचने के बाद अफसरों में हड़कंप मच गया।
चंडीगढ़ में हुई कार्रवाई के बाद रोडवेज प्रबंधन ने एक अगस्त से ड्राइवर और कंडक्टरों के लिए वर्दी जरूरी कर दी है। जीएम (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि यह निर्णय एमडी के आदेश पर किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्दी नहीं पहनने वाले ड्राइवर-कंडक्टरों पर 250 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। वर्दी खरीदने के लिए सभी ड्राइवर-कंडक्टरों को इस महीने वेतन में तीन हजार रुपये दिए जाएंगे। भत्ता सिर्फ उन्हीं ड्राइवर-कंडक्टरों को मिलेगा, जो बसों में ड्यूटी कर रहे हैं। अक्षम और कार्यालयों में काम करने वाले ड्राइवर-कंडक्टरों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।