सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर चारधाम परियोजना के तहत बन रही सड़कों को ‘डबल लेन’ तक चौड़ा करने की इजाज़त दे दी है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की सदारत वाली पीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाते हुए चारधाम परियोजना के बारे में सीधे जानकारी हासिल करने के लिए साबिक जज ए के सीकरी की सदारत में एक जायज़ा समिति का भी गठन किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का पूरा सहयोग हासिल होगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सहमति जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखना ज़रूरी है. दरअसल, चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा था.
क्या है चारधाम परियोजना
चारधाम परियोजना के तहत उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थों यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा. इस परियोजना की शुरुआत साल 2016 में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की थी. इसके तहत दो सुरंगें, 15 पुल, 25 बड़े पुल, 18 यात्री सेवा केंद्र और 13 बायपास आदि बनाए जाने हैं.
दरअसल साल 2018 में एक गैर सरकारी संस्था ने सड़क चौड़ीकरण की इस परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उस एनजीओ ने दलील दी थी कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पेड़ काटे जाएंगे. इससे पहाड़ों में विस्फोट का अंदेशा है, इसके साथ साथ मिहालय की सूरते हाल की भी मज़ीद खरब होगी. इससे भूस्खलन, बाढ़ का ख़तरा बढ़ जाएगा और जंगल व जलीय जीवों को नुक़सान पहुंचेगा.