हरिद्वार: कुंभ मेले के दौरान सरकार ने मेले की संक्रमण दर कम करने के लिए कोरोना के ज्यादा से ज्यादा आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट करवाने का इंतजाम किया था, इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग और मेला स्वास्थ्य विभाग ने कुल 20 प्राइवेट लैब के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया था। लेकिन अब इन निजी लैबों पर आरोप लग रहा है कि इन लैबों ने सरकार से ज्यादा से ज्यादा पैसे वसूलने के लिए एंटीजन टेस्टों की संख्या में बड़ा फर्जीवाड़ा किया है।
सरकार से अधिक से अधिक भुगतान पाने के लिए इन लैबों के द्वारा फर्जी आधार कार्डों को दर्शाया गया है और इस प्रकार के सभी टेस्टों को नेगेटिव भी दिखाया गया है।लेकिन अब ये मामला आईसीएमआर के संज्ञान में आने के बाद शासन ने इसकी जांच की और एक कंपनी के काम में अनियमितता पाए जाने पर डीएम हरिद्वार को इसकी जांच सौंपी गई है। अब सरकार ने इस मामले में जिला स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर जांच शुरू कर दी है।
हरिद्वार में हुए कुंभ मेले के दौरान हुए कोरोना टेस्ट घोटाले में उत्तराखंड सरकार ने आरोपी निजी लैब का 3 करोड़ रुपए का पेमेंट भी रोक लिया है। फिलहाल शासन को हरिद्वार डीएम की रिपोर्ट का इंतजार है। हरिद्वार जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बाद उपलब्ध तथ्यों के आधार पर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सरकार अब इस मामले में पूरी तरह सख्ती बरतने के मूड में है। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा है कि राज्य में कोरोना की फर्जी जांच कर निगेटिव रिपोर्ट जारी करने का मामला बहुत गंभीर है, इस मामले में अब सरकार ऐसी कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रही है। मामला सामने आने के बाद से ही हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने सीडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। ये कमेटी इस मामले की जांच कर रही है। इतना ही नहीं सरकार अब इस मामले में ये भी जानकारी जुटा रही है कि अब तक उत्तराखंड में कितनी टेस्ट किट खरीदी गईं और उनका कहां पर इस्तेमाल हुआ है।