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भागवत का आश्रय लो, भगवान् मिलेंगे – शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

 

भागवत का आश्रय लो, भगवान् मिलेंगे

-शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

 

भगवान् श्रीकृष्ण ने जब इस धराधाम से अपनी लीला का संवरण किया तो वे श्रीमद्भागवत ग्रन्थ में प्रविष्ट हो गये। कहा *तिरोधाय प्रविष्टोऽयं*। इसीलिए श्रीमद्भागवत को भगवान् की वाङ्मयी मूर्ति कहते हैं । श्रीमद्भागवत का आश्रय लेने पर भगवान् अवश्य मिल जाएंगे।

उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ ने चातुर्मास्य प्रवचन के अवसर पर उद्धव कथा कहते हुए कही।

उन्होंने कहा कि संसार मे आपके अनेक आश्रय हो सकते हैं पर उन सबका भी कोई न कोई आश्रय होगा। इसीलिए ऐसे आश्रय को ढूंढना चाहिए जो किसी अन्य पर निर्भर न हो अपितु स्वयं का भी आश्रय हो। ऐसा आश्रय केवल भगवान् ही हो सकते हैं। क्योकि भगवान् का कोई आश्रय नहीं। वे अपनी महिमा में स्वयं स्थित हैं। भगवान् एकमात्र ऐसा आश्रय है जिसके बाद हमें किसी अन्य आश्रय की आवश्यकता ही नहीं पडती।

आगे कहा कि सुखी और दुःखी का लक्षण बताते हुए कहा गया है कि जो स्वतन्त्र है वह सुखी और जो पराधीन है वही दुःखी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति स्वतन्त्र होने का प्रयास करता है।

पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी ने उद्धव शब्द का अर्थ करते हुए कहा कि उद्धव का अर्थ है उत्सव। उद्धव भगवान् श्रीकृष्ण की उत्सव मूर्ति कहे जाते हैं। मन्दिर में मुख्य भगवान् की जब अचल प्रतिष्ठा होती है तब एक अन्य मूर्ति की भी सचल प्रतिष्ठा की जाती है। उसमें और मुख्य मूर्ति में कोई भेद नहीं होता। जब शोभायात्रा आदि निकालनी होती है तो उत्सव मूर्ति को पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है। यही कारण है कि भगवान् ने उद्धव को अपने बदले में गोपियों के पास सन्देश देकर भेजा था।

पूज्य शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व *कंजई के सुप्रसिद्ध गीतकार श्री सन्दीप* ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किए।

प्रमुख रूप से *युवा ब्राह्मण शक्ति संघ* के *सन्दीप दुबे जी, पं श्री रामसहाय तिवारी जी, धर्मशास्त्रपुराणेतिहासाचार्य पं राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी जी, ज्योतिष्पीठ पं आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी, ब्रह्मचारी निर्विकल्पस्वरुप जी* आदि ने अपने विचार व्यक्त किए ।

*ठाकुर श्री मस्तराम सिंह जी* के *सूच्य सम्पर्क स्मारिका* का *विमोचन* पूज्य शङ्कराचार्य जी के करकमलों से सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का संयोजन *श्री अरविन्द मिश्र जी* व संचालन *ब्रह्मचारी श्री ब्रह्मविद्यानन्द जी परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदर पांडे* ने किया।

आज के मुख्य यजमान श्री, केशव दुबे शिखा दुबे जितेंद्र दुबे रत्ना दुबे चौरई रहे।

प्रमुख रूप से केपी गर्ग जी आज की
प्रमुख रूप से चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष व निजी सचिव *ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी, ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी, ऋषिकेश संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री जी,
ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित अन्नू भैया सुनील शर्मा सोहन तिवारी माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारी पंडित आनंद उपाध्याय, कैलाश नायक, आशीष तिवारी मोहन सिंह पटेल शेखर खरिया अजीत खरिया बद्री चौकसे नारायण गुप्ता, अरविंद पटेल , कपिल नायक सहित बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही हैै कार्यक्रमके उपरांत प्रसाद का वितरण किया गया

चातुर्मास्य के अवसर पर पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज का गीता पर प्रवचन प्रातः 7.30 से 8.30 बजे तक भगवती राजराजेश्वरी मन्दिर में होता होता है जिसका प्रसारण 1008.guru इस यू ट्यूब चैनल पर प्रतिदिन होता है। आदि विशिष्ट जन उपस्थित रहे।

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