एक सटीक कहावत है कभी-कभी शिकारी भी खुद शिकार हो जाता है यह सिर्फ एक मुहावरा है
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और अपराधियों की धरपकड़ करने के लिए पुलिस हमेशा तत्पर रहती है लेकिन क्या होगा जब अपराधों पर रोकथाम लगाने वाले ही अपराध करने लगे
खबर उत्तराखंड के हरिद्वार धर्मनगरी के ज्वालापुर कोतवाली से आ रही है। , ज्वालापुर कोतवाली में धोखाधड़ी के सेटलमेंट मामले में आरोपी से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए एक दारोगा को विजिलेंस ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोतवाली में तैनात दारोगा इंद्रजीत राणा धोखाधड़ी के मामले की जांच कर रहे थे। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के बजाय 41 सीआरपीसी का नोटिस तामील कराने के नाम पर आरोपी से 20 हजार की रिश्वत मांगी जा रही थी।
इस पर आरोपी ने विजिलेंस को सूचना दी और देहरादून से आई एक टीम ने पूरा जाल बिछाया। प्लानिंग के तहत नोटों पर केमिकल युक्त रंग लगााकर दारोगा को पकड़ा गया। विजिलेंस टीम ने दारोगा को रंगे हाथ पकड़ लिया। मामले की जानकारी पुलिस विभाग में जंगल की आग की तरह फैल गई और हड़कंप मच गया। देर रात तक आला अधिकारी घटना की जानकारी लेने में जुटे थे और विजिलेंस की टीम आरोपी दारोगा को गिरफ्तार कर कागजी कार्रवाई करने में जुटी रही। पुलिस कप्तान अजय सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि दारोगा इंद्रजीत सिंह राणा को विजिलेंस ने 20 हजार रुपए लेते हुए ट्रैप किया है। मामले की जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।