उत्तराखंडराजनीति

सीमांत गांव मलारी पहुंचे सीएम धामी, फहराया तिरंगा

चमोली: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सीमांत गांव मलारी में भारतीय सेना, आईटीबीपी (हिमवीर), सीमांत सड़क संगठन (शिवालिक) के जवानों और द्वितीय रक्षा पंक्ति के रूप में सीमांत गांव के निवासियों के साथ हर घर तिरंगा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और सभी का हौसला बढ़ाते हुए आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई दी।

हर घर तिरंगा कार्यक्रम को लेकर सेना के जवानों और सीमांत गांवों के निवासियों में जबरदस्त उत्साह और उमंग दिखा। सीमांत गांव मलारी में आयोजित हर घर तिरंगा कार्यक्रम में सेना के जवानों के साथ ही सीमांत गांव कैलाश पुर, महरगांव, कोषा, द्रोणागिरी, नीति, बांम्पा, गमशाली, फरकिया, झेलम, जुम्मा, कागा, गरपक, मलारी के लोगों ने हर्षोल्लास से प्रतिभाग लिया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव जन-जन का अभियान बन चुका है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि इसके साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत शक्तिशाली और गौरवशाली भारत के रूप में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि तिरंगा हमारी आन, बान, शान और अभिमान है। आज देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों का स्मरण पूरा देश कर रहा है। पूरे देश में हर घर तिरंगा कार्यक्रम चल रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 25 साल देश का अमृत काल होगा। उत्तराखंड राज्य आज विकास की ओर अग्रसर है और आने वाले 2025 तक उत्तराखंड को एक आदर्श राज्य बनाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। पर्वतीय राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से विकास योजनाएं तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर प्रहरी के रूप में काम करने वाले क्षेत्रवासी और सीमा पर डटे जांबाजों की वजह से ही हम सब सुरक्षित है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए सभी को आजादी के अमृत महोत्सव एवं पवित्र रक्षाबंधन त्योहार की बधाई दी। क्षेत्रवासियों की समस्याएं सुनते हुए मुख्यमंत्री ने मलारी में इद्रामणि मंदिर का जीर्णोद्वार, शिवालय मंदिर मार्ग और कागा से गरपक तक मोटर मार्ग सुधारीकरण का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम के दौरान सीमांत गांव की महिलाओं ने मा.मुख्यमंत्री को रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु की कामना की। सीमांत क्षेत्र मलारी में पहली बार मुख्यमंत्री के आगमन पर क्षेत्रवासियों ने अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए पारम्परिक पौणा नृत्य के साथ स्वागत किया।

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