अन्नकूट (भतूज मेला) व रक्षाबंधन के लिए केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया। बुधवार रात को धाम में भतूज मेला मनाया जाएगा। बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि भतूज मेला (अन्नकूट) को भव्य रूप से मनाने की तैयारी पूरी हो गई है। इधर, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में भी 11-गांव रामलीला समिति द्वारा भतूज मेले का आयोजन किया जाएगा। समिति के सुरेंद्र दत्त नौटियाल ने बताया कि अन्नकूट मेला केदारघाटी की प्राचीन परंपराओं में से एक है।
केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। रक्षाबंधन से ठीक पहले दिन मेले का आयोजन होता है। मेले में सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद नए अनाजों के लेप लगाकर स्वयंभू लिंग का श्रृंगार करते हैं। इस दौरान भोले बाबा के श्रृंगार का दृश्य अलौकिक होता है। भक्तजन दो बजे रात्रि से सुबह चार बजे तक श्रृंगार किए गए भोले बाबा के स्वयंभू लिंग के दर्शन करते हैं। इसके बाद भगवान को लगाया अनाज के इस लेप को यहां से हटाकर किसी साफ स्थान पर विसर्जित किया जाता है। मंदिर समिति के कर्मचारी मंदिर की साफ सफाई करने के उपरांत ही अगले दिन भगवान की नित्य पूजा-अर्चना की जाती है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव नए अनाजों से जहर को जनकल्याण के लिए खुद में समाहित कर लेते हैं। इसी के तहत स्वयंभू लिंग पर नए धान से तैयार चावलों को पकाकर लगाया जाता है। साथ ही अन्य अनाजों से सजाया जाता है। इसलिए इस त्योहार को मनाने की परंपरा है। त्पश्चात चावलों के भोग को मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जाएगा।