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बारिश के बाद नैनीताल में भूस्खलन, डीएम के आदेश के बाद आवाजाही बंद

नैनीताल: मानसून के शुरू होने के बाद उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसी वजह से अगले 48 घंटे और ज्यादा संवेदनशील बताये जा रहे हैं।

बुधवार से शुरू हुई बारिश को देखते हुए नैनीताल जिला प्रशासन अलगे दो दिन को सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम मान रहा है। नैनीताल में कई जगह पर भूस्खलन के बाद खतरे को आशंका को देखते हुए प्रशासन ने ठंडी सड़क पर आवाजाही प्रतिबंधित कर दिया है। बुधवार दोपहर पाषाण देवी मंदिर के समीप ठंडी सड़क की पहाड़ी से बड़ा बोल्डर सड़क पर आ गिरा। इसके बाद राहगीर काफी डरे हुए हैं।

सुरक्षा के मद्देनजर जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने ठंडी सड़क को अग्रिम आदेशों तक पैदल आवाजाही के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। पिछले साल अक्टूबर में हुई बारिश के बाद भी भूस्खलन हुआ था। डीएसबी परिसर का छात्रावास खतरे की जद में आ गया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने लाखों रुपये खर्च कर पहाड़ी का अस्थाई ट्रीटमेंट किया लेकिन एक बार फिर भूस्खलन हो गया।

इस वजह से ठंडी सड़क को 6 महीने के लिए बंद करना पड़ा था। बुधवार को इस क्षतिग्रस्त पहाड़ी में फिर से भूस्खलन हुआ और एक बोल्डर सड़क तक आ पहुंचा। बोल्डर के गिरने से पहाड़ी के निचले हिस्से में लगाई गई सुरक्षा जाली भी क्षतिग्रस्त हो गई। डीएसबी परिसर के हॉस्टिल पर खतरा मंडरा रहा है।भूस्खलन की आशंका और जानमाल की सुरक्षा को देखते हुए अग्रिम आदेशों तक ठंडी सड़क में आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है।

पहाड़ों में भी बारिश का दौर शुरू हो गया है। नंधौर नदी उफान पर आ गई है। पास के क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने के लिए नदी का रुख चोरगलिया क्षेत्र की ओर हो गया है। नंधौर नदी ने दुबेलभीडा, आमखेड़ा गांव में भू कटाव शुरू कर दिया है। वन क्षेत्राधिकारी नंधौर सुनील कुमार ने कहा कि पानी कम होने पर पुन: डायवर्जन कराया जाएगा। समाजसेवी भुवन पोखरिया ने कहा कि नंधौर का पूरा रूख चोरगलिया क्षेत्र की ओर है जिससे दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।

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