आरटीआई के जवाब में उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली के पेयजल निगम कर्णप्रयाग की निर्माण शाखा की करोड़ों की पेयजल योजनाओं से जुड़े मामले की अब पोल खुलने लगी है। सूबे के नये सीएम तीरथ सिंह रावत द्वारा भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए हाल ही में सड़क निर्माण में कोताही बरतने वाले दो अभियंताओं को निलंबित किया जा चुका है। सीएम का साफ कहना है कि भ्रष्टाचार को लेकर किसी भी अधिकारी को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा । दो अभियंताओं को निलंबित करने का मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम तीरथ का ट्रेलर मात्र है पिक्चर अभी बाकी है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार के जीरो टोलरेंस के नियमों की किस ढंग से धज्जियां उड़ाते हुए करोड़ों का वारा न्यारा किया गया इसका जीता जागता सबूत उत्तराखंड पेयजल निगम कर्णप्रयाग की निर्माण शाखा से पुख्ता तौर पर मिला है। टेंडर प्रकाशन में सरकार के द्वारा अनुमोदित प्रोक्योरमेंट नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। प्रोक्योरमेंट नियमावली के तहत कोई भी विभाग टेंडर का प्रकाशन किसी एक प्रादेशिक स्तर के दैनिक समाचार पत्र व एक स्थानीय संबंधित जिले से प्रकाशित होने वाले मान्यता प्राप्त दैनिक समाचार पत्र में देने का प्रावधान है। जबकि 5 करोड़ की लागत से अधिक योजनाओं का टेंडर प्रकाशन राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र में प्रकाशित करने का प्रावधान है। लेकिन 2019 से उत्तराखंड पेयजल निगम की निर्माण शाखा कर्णप्रयाग के अधिशासी अभियंता ने टेंडर प्रकाशन में सरकार के नियमों को ताक पर रखकर अपने ही नियम चला दिए हैं। लंबी अवधि तक सरकार द्वारा स्वीकृत धन के सापेक्ष पेयजल योजनाओं से जुड़े हुए अधिकांश टेंडरों का प्रकाशन मात्र देहरादून से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र में किया गया। टेंडरों को व्यापक प्रसार वाले प्रादेशिक दैनिक समाचार पत्र व चमोली जिले से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र से दूर रखने की मंशा किसी बड़े गड़बड़झाला की ओर इशारा कर रही है। निर्माण शाखा पेयजल निगम कर्णप्रयाग द्वारा पेयजल योजना से जुड़ी हुई तमाम योजनाओं की बंदरबांट करते हुए सरकार के नियमों को ताक पर रखते हुए अपने हिसाब से टेंडर अपने चहेतों को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार ने यदि इस मामले की जांच कर दी तो करोड़ों की लागत से बनी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है। इस मामले में जब पेयजल निगम कर्णप्रयाग के अधिशासी अभियंता मदन पुरी से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्हें यही मालूम नहीं कि उनके ही हस्ताक्षर से तमाम योजनाओं की जानकारी आरटीआई के जवाब के तहत दी जा चुकी है। हालांकि मदन पुरी का कहना है कि टेंडर का प्रकाशन नियमों के अंतर्गत ही किया गया है साथ ही वह कार्यालय में इस मामले को दिखवाएंगे।