
उत्तराखंड में सीएम बदलने के साथ ही संगठन के भीतर भी बदलाव किया गया है । बीजेपी आलाकमान 2022 में उत्तराखंड में फिर से सत्तासीन होने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि गढ़वाल से लेकर कुमाऊं और मैदानी क्षेत्र से लेकर पहाड़ी क्षेत्र के भीतर संतुलन सादा जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपा जाना इसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। भले ही उत्तराखंड की पहचान पूरे देश के विचार देव भूमि और एक पर्वतीय प्रदेश को लेकर के है। लेकिन 70 सदस्यीय विधानसभा के भीतर उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र की भी ठीक संख्या है इसीलिए भाजपा गढ़वाल से लेकर कुमाऊं इसके अलावा जातीय समीकरण और मैदान से पहाड़ के बीच बेहतर सामंजस्य बैठाने की कवायद में अभी से जुट गई है। अभी तक उत्तराखंड के निर्माण के 20 साल के भीतर उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के भीतर मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गढ़वाल या कुमाऊं से किसी नेता को सौंपी जाने की परंपरा रही है । लेकिन भाजपा ने पहली बार पूरे प्रदेश के एक बेहतर सामंजस्य बैठाने की दिशा में मदन कौशिक को उत्तराखंड में संगठन की कमान सौंपने का प्रयोग किया है। भाजपा को 2022 में इसका कितना फायदा होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन राजनीतिक गलियारों में भाजपा के इस कदम को उत्तराखंड में एक नई रणनीति के तौर पर माना जा रहा है।