
संवत् 2079 विक्रमी माघ शुक्ल द्वादशी 2 फरवरी 2023 ई.
बेमेतरा (छत्तीसगढ)
दान के लिए सर्वोत्तम पात्र हैं भगवान्- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज
बेमेतरा। ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु श्रीश्री शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ अपने प्रवास के अष्टम दिवस दिन बुधवार को बेमेतरा के कृष्णा विहार स्थित निवास पर प्रातः भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की पूजा कर दीक्षार्थियों को दीक्षा पश्चात दर्शन। शंकराचार्य मीडिया के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया शंकराचार्य जी बेमेतरा के कृष्णा विहार कॉलोनी स्थित शंकराचार्य निवास से दोपहर 11 बजे कथा स्थल पहुँचे जहाँ सुरेंद्र कुमार छाबड़ा एवं परिवार द्वारा श्रीभागवत भगवान की आरती व पदुकापुजन कर अष्टम दिवस का कथा प्रारम्भ कराया।
शंकराचार्य ने व्यासपीठ से कहा हमारे शास्त्रों में दान का बडा महत्व है। यदि हम सत्पात्र को दान देते हैं तो हमार धन बढता है और यदि कुपात्र को दान देते हैं तो घटता है। ऐसे में हमें कैसे पता चले कि कौन सत्पात्र है और कौन कुपात्र है? तो इसका एक सरल तरीका यह है कि जो दान करना चाहो उसे भगवान् को समर्पित कर दो। दान करने के लिए भगवान् को सबसे उत्तम पात्र माना गया है। कहते हैं कि जब हम भगवान् को कोई वस्तु समर्पित करते हैं तो वह हमें अनेक गुना होकर वापस मिल जाता हैं। जिस प्रकार धरती में एक बीज बोने पर वह अनेक गुना होकर हमें वापस देती है। ठीक उसी प्रकार जब हम भगवान् को समर्पित करते हैं तो वह भी हमें अनेक गुना होकर वापस मिलता है।
उक्त उद्गार छत्तीसगढ के बेमेतरा जिले में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अवसर पर ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ‘1008’ ने कही।
उन्होंने भक्ति के सन्दर्भ में वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति की पहली सीढ़ी तो यह है कि वह पहले भगवान् से अन्य किसी वस्तु की आकांक्षा न करके केवल भगवान् को ही चाहता है। जब भक्ति इससे भी और अधिक आगे बढती है तब भक्त भगवान् को न चाहकर उनकी सेवा मात्र चाहता है।
उन्होंने भारतीय संस्कृति में वर्णित षोडश संस्कारों के बारे में बताते हुए कहा कि पुराने समय में गर्भाधान से लेकर सभी संस्कार नियम से होते थे। इन संस्कारों के प्रभाव से ही सन्तान संस्कारित रहती थी। आजकल इन संस्कारों का अभाव हो गया है जिसके कारण माता और पिता आजकल अपनी ही सन्तान से परेशान हो रहे हैं। यदि अपनी पीढी को संस्कारित बनाना हो तो हमें धर्म में वर्णित सभी संस्कारों का विधिपूर्वक पालन करना होगा। संस्कार के लिए भीड इकट्ठी करने की आवश्यकता नही हैं लेकिन विधि अवश्य पूर्ण होनी चाहिए। वहीं कथा सम्पूर्ण करके जगद्गुरू ज्योतिर्मठ के लिए प्रथान किए।
शंकराचार्य के रूप में साक्षात नारायण के दर्शन – कृषि मंत्री रविंद्र चौबे
7 दिन तक निरंतर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया और शंकराचार्य महाराज के श्री मुख से कथा श्रवण करने का अवसर मिला। 7 दिन के इस तरह से बीत गया इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता हैं। भक्तों को भी ऐसा लग रहा है कि यह 7 दिन कितने जल्दी बीत गया है। कृषि मंत्री ने कहा द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य के हम भक्त हैं, वैसे ही आप के भी भक्त हैं।
द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य जी की कथा का श्रवण पान इस छत्तीसगढ़ की जनता ने किया। वैसेही आपकी वाणी ओत और प्रस्तुतीकरण को भक्तों ने महसूस किया है। पता नही चला कि द्वि पीठाधीश्वर भगवान के कथा का रसपान हम कर रहें है या ज्योतिष पीठाधीश्वर भगवान के, इसमें अंतर कर पाना मुश्किल है। 07 दिन लगातार आखरी परीक्षित मोक्ष की कथा सुनने के बाद साक्षात ही नारायण के दर्शन शंकराचार्य के रूप में हुआ है।
छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है यहां पर 36 पुराण की कथा अलग-अलग स्थानों पर होगी। वहीं कृषि मंत्री ने आशीष छाबड़ा विधायक को भी धन्यवाद दिया कि इतने अच्छे आयोजन की वजह से आसपास से लेकर सभी क्षेत्रों के भक्तों को शंकराचार्य के श्रीमुख से कथा श्रवण करने का अवसर मिला।
मुख्य यजमान सहित हजारों की रही मौजूदगी
आज के आयोजन में मुख्यरूप से रविन्द्र चौबे कृषि मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, आशीष छाबड़ा विधायक बेमेंतरा, मोतीराम चन्द्रवंशी पूर्व विधायक पंडरिया, रघुराज सिंह ठाकुर, नीलकंठ चन्द्रवंशी, आचार्य राजेन्द्र शास्त्री, ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द, ब्रह्मचारी इंदुभावनन्द, ब्रह्मचारी शारदानंद, साध्वी पूर्णाम्बा, साध्वी शारदाम्बा, डॉ पवन कुमार मिश्रा धर्मालंकार, मुख्य यजमान सुरेंद्र किरण छाबडा, विनु छाबड़ा, चंद्रप्रकाश उपाध्याय विशेष कार्याधिकारी ज्योतिर्मठ, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, अशोक साहू शंकराचार्य मीडिया प्रभारी, ब्रह्मचारी केशवानन्द, ब्रह्मचारी हृदयानंद, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, बटुक राम, निखिल, शैलेश, पंडित देवदत्त दुबे, पंडित आनंद उपाध्याय, बंटी तिवारी व हजारो के संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।