हरिद्वार: माघ पूर्णिमा पर गंगा के पावन और शीतल जल में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने अपने तन और मन को शुद्ध किया। माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ ही माघ मास का समापन भी हो जाएगा और करीब एक महीने तक चलने वाले कल्पवास की समाप्ति भी हो जाएगी।
धर्मनगरी हरिद्वार के हृदय स्थल हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर माघ पूर्णिमा के स्नान के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी। पौ फटते ही हर हर गंगे, जय मां गंगे के जयघोष के साथ श्रद्धालु मां गंगा के पवित्र जल में पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे। गंगा स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाने के साथ ही श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर बने मंदिरों में पूजा-अर्चना की और परिक्रमा के साथ ही दान कर पुण्य कमाया।
स्नान को लेकर इस बार कोई रोक नहीं थी। सीमा पर भी किसी किस्म की कोई बंदिश या पाबंदी नहीं थी। मतदान भी संपन्न हो चुका है। ऐसे में श्रद्धालुओं की संख्या बाकी स्नान की अपेक्षा ज्यादा नजर आई। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए। साथ ही श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क की अनिवार्यता पर जोर दिया गया।
माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व
इस दिन चांद अपनी पूर्ण अवस्था में होता है। यह मान्यता है कि लोगों की हर कामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पूजा और व्रत का शुरू से ही महत्व रहा है। बताया कि धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं। ऐसे में इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में इस माह माघ में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन स्नान-दान आदि का खास महत्व है।