
जन आगाज डेस्क
ज्योतिर्मठ। ज्योतिष्पीठ के 55वें शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज का 23वां सन्यास महोत्सव मनाया गया । आज की तिथि चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को काशी में 22वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने दो योग्य नैष्ठिक ब्रह्मचारियों दण्ड सन्यास की दीक्षा प्रदान की जो कि आज क्रमशः द्वारका पीठ और ज्योतिष्पीठ पर शंकराचार्य के रूप में स्थापित होकर सनातन धर्म के सर्वोच्च पद पर स्थापित होकर सबको मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं ।
आज उत्तराम्नाय ज्योतिर्मठ में सायं काल *गुरु वन्दना* कार्यक्रम का आयोजन कर शंकराचार्य जी महाराज की पादुका की पूजा की गई ।
साथ ही भजन कीर्तन किया गया ।
कार्यक्रम में उपस्थित स्वामी प्रत्यक्चैतन्यमुकुन्दानन्द गिरि ने सबको पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज के सामाजिक और धार्मिक योगदान के विषय में सबको बताकर गौमाता की सेवा के कार्य की विस्तार से चर्चा की ।
कार्यक्रम के समापन में उपस्थित असंख्य भक्तों और जगद्गुरुकुलम् के छात्रों ने *निर्वाण षट्कम्* का पारायण किया ।
ज्योतिर्मठ के व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी ने सभी को प्रसाद दिया
कार्यक्रम में कुशलानन्द बहुगुणा , शिवानन्द उनियाल, महिमानन्द उनियाल, नन्दादत्त सिलोडी, जानकी प्रसाद बहुगुणा, लक्ष्मी प्रसाद डिमरी, जयदीप मन्द्रवाल, शशांक सकलानी, अभिषेक बहुगुणा, वैभव सकलानी, जगदीश उनियाल, मनीषा सती, अरुणा नेगी, सरोज नौटियाल, सरिता उनियाल, संतोष सती, हेमंत सोनी, आदि उपस्थित रहे ।