भगवा ध्वज त्याग पराक्रम व राष्ट्र सेवा का प्रतीक : श्रीमती विनोद उनियाल

देहरादून। राष्ट्र सेविका समिति के प्राथमिक अभ्यास वर्ग का आयोजन किया जा रहा हैं, जिसमे आज भगवा ध्वज हमारा गुरू हैं, विषय पर श्रीमती विनोद उनियाल ने प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्र सेवक संघ की स्थापना 1925 को नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। उनके सिद्धांत व उद्देश्य राष्ट्रवाद व देशभक्ति हिंदू समाज की एकता स्वयं सेवा कार्य स्वदेशी व आत्मनिर्भरता थे। आज का विषय भगवा ध्वज है, जो हिंदू धर्म सनातन संस्कृति राष्ट्रवाद, त्याग बलिदान और आध्यात्मिक ज्ञान व प्रकाश पुंज है। मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वयं भगवा ध्वज को अपने राज्य का प्रतीक बनाया। राष्ट्र सेवक संघ का ध्वज भी भगवा रंग का है। अखंड भारत व हिंदू संस्कृति के लिए संघर्ष करने वाले योद्धाओं व गुरुओं ने अपना ध्वज बनाया। यह त्याग पराक्रम व राष्ट्र सेवा का प्रतीक है, यह धर्म राष्ट्रवाद और आत्मज्ञान के मूल्यों को प्रकट करता है व भारतीय समाज में यह विशेष स्थान रखता है। श्रीमती विनोद उनियाल ने कहा की संगठन भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है, और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को “मजबूत” करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् १९२५ में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। इस अवसर पर मुख्य रूप से कार्यक्रम में कार्यवाहीका श्रीमती शारदा त्रिपाठी, सुनिधी, मीना पंवार, ममता, यशोदा आदि उपस्थित थे।