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अब हिंदी मीडियम वाला बच्चा भी बन पाएगा एमबीबीएस डॉक्टर उत्तराखंड में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने जा रही शुरू

देहरादून/ दिल्ली :

 

हिंदी माध्यम से ग्रामीण परिवेश में पढ़ने वाले बच्चे अब एमबीबीएस डॉक्टर का सपना पूरा कर पाएंगे अपनी मातृभाषा हिंदी में पढ़कर वह एमबीबीएस डॉक्टर बन पाएंगे

 

मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा हिंदी में होने जा रही शुरू केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख भाई मांडवीया करेंगे पाठ्यक्रम का शुभारंभ स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने आज दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर मेडिकल हिंदी पाठ्यक्रम का शुभारंभ करने का किया आग्रह

उत्तराखंड राज्य में नए सत्र से अब छात्र-छात्राएं अपनी मातृभाषा में एमबीबीएस मेडिकल की पढ़ाई कर सकेंगे इसके लिए सभी तैयारियां मुकम्मल कर ली गई है इस महीने के अंत तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया पाठ्यक्रम का शुभारंभ कर सकते हैं,

 

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई लागू करने वाला उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य बन जाएगा इससे पहले मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू की जा चुकी है उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग के 4 सदस्य कमेटी के द्वारा संपूर्ण अध्ययन के पश्चात यह पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है,

फोन के माध्यम से बात करते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया आज दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख भाई से उधम सिंह नगर एम्स सैटलाइट सेंटर का भूमि पूजन और मेडिकल हिंदी पाठ्यक्रम के शुभारंभ को लेकर समय मांगा गया है उनके द्वारा आश्वस्त किया गया है कि जल्द ही उत्तराखंड आकर दोनों कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। मेडिकल पाठ्यक्रम लागू करने पर उनके द्वारा बताया गया कि छात्र-छात्राएं अब हिंदी अंग्रेजी किसी भी भाषा में पढ़ाई कर पाएंगे हिंदी पाठ्यक्रम ऑप्शनल रहेगा जो हिंदी में नहीं पढ़ना चाहते वह अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।

 

हिंदी माध्यम के छात्र छात्राओं के लिए यह किसी सपने से कम नहीं शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की हिंदी माध्यम से पढ़ कर वह सीधा एमबीबीएस की पढ़ाई भी कर सकते हैं

 

यह संभव हो पाया है दूरदर्शी सोच के उत्तराखंड के लीडर स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के विशेष प्रयासों से

 

उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत स्वयं ग्रामीण परिवेश में हिंदी माध्यम के छात्र रहे हैं शायद उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान अपने बचपन में सोचा होगा कि किसी भी प्रोफेशन में भाषा कभी रुकावट नहीं बनेगी और आज उन्होंने इस सोच को साकार किया है वाकई में हिंदी भाषा पढ़कर भी आप एमबीबीएस की डिग्री पा सकते हैं यह तो जागती आंखों से सपने देखने के समान है।

 

 

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