देहरादून
हरीश रावत के कार्यकाल में दरोगा भर्ती घोटाले पर कार्यवाही के पश्चात आज आखिरकार हरीश रावत ने चुप्पी तोड़ दी है हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया फेसबुक पेज पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इस मामले में जांच करने की बात कही है के साथ ही उन्होंने दरोगा भर्ती में अपना नाम मीडिया के कुछ साथियों द्वारा घसीटने पर कड़ा ऐतराज जताया है अपने फेसबुक पर हरीश रावत लिखते हैं
दरोगा_भर्ती_नकल_प्रकरण में पहले मैंने सोचा था कि मैं चुप रहूं! क्योंकि यह भर्तियां मेरे कार्यकाल में हुई थी और वर्षों से नहीं हुई थी, तो इसलिए मैंने यह भर्तियां करने के निर्देश दिए। इसी तरीके से बहुत सारी डीपीसीज, कैडर रिव्यू और एश्योर करियर प्रमोशन की स्कीम आदि को मैंने क्रियान्वित किया, ताकि कर्मचारियों को भी उनका उचित पुरस्कार मिल सके और यदि आप पता करेंगे तो ऐसे आधे से ज्यादा निर्णय कांग्रेस के 2014 से 2016-17 के कार्यकाल के बीच में में हुए। मगर इस भर्ती प्रकरण में जिस तरीके से मेरे कुछ दोस्त हरीश रावत कार्यकाल कह रहे हैं, तो उनसे मेरा आग्रह है कि इस पूरे प्रकरण की अध्योपरांत जांच की जाए। इसमें आईजी विजिलेंस, एडीजी विजिलेंस, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजीपी, इन सबसे भी पूछताछ की जानी चाहिए। इसलिए नहीं कि मैं इनकी संलिप्तता देख रहा हूं, बल्कि इसलिए की जानी चाहिए पुलिस के घर में पुलिसवालों में इस तरीके की नकल और भ्रष्टाचार, उत्तराखंड पुलिस पर एक बड़ा दाग है और इस दाग से हममें से कोई नहीं बच सकता है! तो इसलिए उन सबको भी कानून और पूछताछ के दायरे में लाया जाना चाहिए। यदि पुलिस अपने ही बीच में विश्वास की रक्षा नहीं कर सकती है तो फिर राज्य के लोगों के विश्वास की रक्षा क्या कर पाएगी? यह प्रकरण अत्यधिक चिंताजनक है, यदि इसका इलाज नहीं हुआ तो फिर यह कैंसर की तरीके से उत्तराखंड राज्य के शरीर को गलायेगा।