Dehradun

गुरुकुल परम्परा ही भारत की आत्मा

हरिद्वार। पतंजलि गुरुकुलम्, हरिद्वार के ‘आठवें वार्षिकोत्सव’ में पूज्य गुरुदेव “आचार्यश्री जी” की प्रेरणादायी उपस्थिति। योगऋषि पूज्यपाद स्वामी रामदेव महाराज के आमंत्रण पर आज श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर अनन्तश्रीविभूषित पूज्यपाद श्री स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज “पूज्य आचार्यश्री जी” हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के गुरुकुलम् ऑडिटोरियम में आयोजित “सनातन के शाश्वत सत्य” पर आधारित पतंजलि गुरुकुलम् के आठवें वार्षिकोत्सव में पधारे। इस अवसर पर गुरुकुल के बाल-ब्रह्मचारियों द्वारा प्रस्तुत विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भारतीय संस्कृति की गहराई, वैदिक आदर्शों की महिमा तथा राष्ट्रनिष्ठा की भावना को अत्यन्त आकर्षक, प्रभावी और हृदयस्पर्शी रूप में अभिव्यक्त किया। वार्षिक महोत्सव के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों में योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज, आचार्य बालकृष्ण, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती, भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त एनपी सिंह सहित अनेक प्रबुद्ध संत, शिक्षाविद, अतिथिगण, छात्र-छात्राएँ एवं अभिभावकगण सादर उपस्थित रहे।
“आचार्य श्री” ने अपने मंगलाशेष उद्बोधन में कहा कि गुरुकुल परम्परा ही भारत की आत्मा है। यहीं से ज्ञान, संस्कार और सेवा का वह प्रकाश प्रकट होता है, जो समस्त मानवता के कल्याण का पथ आलोकित करता है। “आचार्यश्री” ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के विविध आयाम जहाँ नित्य गतिमान है, आज यहाँ गुरुकुलम् के अष्टम वार्षिकोत्सव का साक्षी बनाकर अभिभूत हूँ। लार्ड मैकाले ने शिक्षा की पुरातन पद्धति को ध्वस्त कर हम पर पश्चात परम्परा को थोप दिया है। संयोग से योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी ने आशा का दीप जलाकर अनेक गुरुकुलम् की स्थापना कर शिक्षा जगत में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाये हैं। पूज्य स्वामी जी ने तन के स्वास्थ्य के साथ-साथ मन के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए सम्पूर्ण राष्ट्र में योग एवं शिक्षा की अलख जगाई है।

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