7 सितंबर को मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी का पर्व : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून, 21 अगस्त। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर आरम्भ हो रही है, जो 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म हिंदू पंचनग में भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के दौरान हुआ था। इस वर्ष, गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा जबकि गणेश प्रतिमा का विसर्जन 17 सितंबर, 2024 दिन मंगलवार को किया जाएगा।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र व कर्नाटका में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। गणेशजी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है। शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश जी की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
कथा :- शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वार पाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।
शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गज मुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्ष पर्यन्त श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
गणेश चतुर्थी 2024 मुहूर्त :-
गणेश चतुर्थी शनिवार,7 सितंबर 2024
चतुर्थी तिथि प्रारंभ शुक्रवार दोपहर 3:01
चतुर्थी तिथि समाप्त शनिवार 7 सितंबर शाम 05:37
गणेश चतुर्थी पूजा का समय 7 सितंबर सुबह 11:03 से दोपहर 01:34 तक
गणेश विसर्जन मंगलवार, 17 सितंबर 2024