विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री, विधायकों और सचिवों को शासन के संस्कृत विभाग ने कराया संभाषण का अभ्यास
गैरसैंण। भराडीसैंण गैरसैंण में चल रहे विधानसभा सत्र के प्रथम दिन उत्तराखण्ड शासन के संस्कृत शिक्षा विभाग के निर्देशन में मन्त्रियों, विधायकों एवं सचिवों को संस्कृत सम्भाषण का अभ्यास कराया गया।
मम नाम ऋतुभूषण खण्डूरी अस्ति, मम नाम डा धनसिंह रावतः अस्ति, मम नाम वंशीधर भगतः अस्ति,
मम नाम सरिता आर्या,
मम नाम राधा रतूडी अस्ति
बोलते ही पूरे विधानसभा परिसर में संस्कृतमय वातावरण बन गया।
मा विधानसभा अध्यक्ष ऋतुभूषण खण्डूडी ने कहा कि विधान सभा में संस्कृत सम्भाषण की पहल करना अच्छी शुरुवात है, इसे आगे भी जारी रखना अच्छा होगा। उन्होंने कहा संस्कृतभाषा ज्ञान परम्परा और सांस्कृतिक परम्परा का आधार है। संस्कृत के बिना हम अपने जीवन मूल्यों को नहीं जान सकते।
संस्कृत शिक्षा मन्त्री डा धनसिंह रावत ने सदन को बताया कि प्रत्येक जनपद में संस्कृत ग्रामों एवं प्राथमिक संस्कृत विद्यालयों की स्थापना जल्दी ही करने जा रहे हैं और संस्कृत ज्ञान कुम्भ का आयोजन भी किया जाना है।
संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने विभाग की विस्तृत योजनाओं से मा मंत्रियों, विधायकों व सचिवों को अवगत कराया।
संस्कृत सम्भाषण शिबिर में विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी, संस्कृत शिक्षा मन्त्री डा धनसिंह रावत, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक बंशीधर भगत, भरत सिंह चौधरी, मुन्ना सिंह चौहान, सरिता आर्या, मुख्य सचिव राधा रतूडी, आर मीनाक्षी सुंदरम, नितेश झा, संस्कृत शिक्षा के सचिव दीपक कुमार आदि उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ आनंद भारद्वाज, सहायक निदेशक देहरादून डॉ चंडीप्रसाद घिल्डियाल ने किया। संस्कृत संभाषण कक्षा का संचालन उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डा हरीश चन्द्र गुरुरानी ने किया तथा सहयोग गणेश प्रसाद फोन्दणी ने किया।