1 लाख हस्ताक्षर एकत्रित कर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपेगी बस्ती बचाओ आन्दोलन

देहरादून 20 नवंबर। रिस्पना बिन्दाल एलिवेटेड रोड़ परियोजना को निरस्त करने की मांग को लेकर बस्ती बचाओ आन्दोलन – प्रभावित परिवारों से 1 लाख हस्ताक्षर एकत्रित कर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपेगी जिसमें बस्ती के लिऐ मालिकाना हक,बाढ़ प्रभावितों के लिऐ समुचित सहायता आदि मांगे शामिल रहेंगी ,अब तक प्रभावितों से लगभग 40 हजार हस्ताक्षर एकत्रित किये जा चुके हैं। आज बस्ती बचाओ आन्दोलन की बैठक में वक्ताओं ने कहा है कि देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे बसे हजारों मेहनतकश परिवार आज भय और अनिश्चितता में हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में स्वंय मुख्यन्त्री ने मलिन व कच्ची बस्ती वासियों को आश्वस्त किया था कि उन्हे बेदखल नहीं किया जायेगा,चुनाव जितने के तुरंत बाद उनके द्वारा रिस्पना -बिन्दाल एलिवेटेड रोड़ को तेजी शुरू करने के निर्देश दिये सरकारी सामाजिक समाधान रिपोर्ट में रिस्पना बिन्दाल से लगभग 25 हजार की आबादी के विस्थापन की बात कही गई है,जबकि यह संख्या इससे कई अधिक जा सकती है। वक्ताओं ने कहा हाईकोर्ट में उर्मिला थापा बनाम राज्य में सरकार की ओर से उसके विभाग रिस्पना बिन्दाल से प्लडजोन खाली करने कि बात कर रहे हैं,चोर दरबाजे से एलिवेटेड रोड ला रहे हैं ।एलिवेटेड रोड़ से स्थानीय स्तर पर भारी विस्थापन के साथ ही इस रोड़ का स्थानीय रोजगार पर भारी कुप्रभाव पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा सरकार ने 6200 करोड़ रुपये की लागत से “एलिवेटेड रोड परियोजना” को मंजूरी दे दी है, जिसका मैदान अब इन गरीब बस्तियों के सिर पर आ पहुँचा है। जहां कभी मेहनत, संघर्ष और जीवन की उम्मीदें बसी थीं, वहां अब बुलडोज़रों की आहट सुनाई दे रही है। वक्ताओं ने कहा है कि इस परियोजना का विरोध करते हुए बस्ती बचाओ आन्दोलन और सीटू देहरादून की सड़कों पर जुलूस निकाले हैं। आन्दोलन के संयोजक अनन्त आकाश का कहना है कि अब तक 40 हजार से अधिक लोगों के हस्ताक्षर जुटाए जा चुके हैं, जिन्हें मुख्यसचिव को सौंपा जाएगा। वक्ताओं ने कहा “यह सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि हजारों गरीब परिवारों के घर और सम्मान को कुचलने की योजना है,” उन्होंने कहा। रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे लगभग 150 से ज़्यादा बस्तियाँ हैं, जहां मुख्यतः दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, घरेलू कर्मचारी, सफाईकर्मी और छोटे कारोबारी दशकों से रह रहे हैं। इन इलाकों में कई लोगों के पास न तो भूमि अधिकार हैं और न ही कोई ठोस सुरक्षा। आन्दोलन का कहना है कि प्रशासन ने सर्वे में गरीब इलाकों को चिन्हित कर दिया, लेकिन अमीर कॉलोनियों और सरकारी भवनों को बचा लिया गया। वक्ताओं ने कहा है कि“विकास के नाम पर जो नीति अपनाई जा रही है, वह सिर्फ गरीबों के खिलाफ है,” अनन्त आकाश कहते हैं, “जो लोग शहर बनाते हैं, वही सबसे पहले उजाड़े जा रहे हैं।” वक्ताओं ने कहा परियोजना के नाम पर पर्यावरण पर वार किया जा रहा हैं. राष्ट्र और राज्य सरकार की संयुक्त इस परियोजना की कुल लंबाई करीब 26 किलोमीटर है-जिसमें बिंदाल पर 14.8 किमी और रिस्पना पर 10.9 किमी हिस्सा शामिल होगा। इसकी चौड़ाई 20.2 मीटर बताई गई है और अनुमानित कुल लागत 6200 करोड़ रुपये है। वक्ताओं ने कहा लेकिन शहर के पर्यावरण और पारिस्थितिकी की दृष्टि से यह परियोजना भारी विवाद में है। रिपोर्टों के अनुसार, निर्माण के लिए 1500 से अधिक पेड़ों की कटाई होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि नदियों के ऊपर कंक्रीट की मोटी परतें चढ़ाने से उनका प्राकृतिक प्रवाह पूरी तरह बाधित हो जाएगा। इससे देहरादून की हरियाली, बारिश के जल का बहाव और भूजल स्तर पर गंभीर असर पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा न्यायालय और सड़क-दोनों पर जंग बस्ती बचाओ आन्दोलन और सीटू ने एलिवेटेड रोड परियोजना के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट पेटीशन संख्या 58/2019 के तहत हस्तक्षेप याचिका दायर की है। समाजसेवी अनूप नौटियाल की याचिका पर हाईकोर्ट पहले ही जनसुनवाई प्रक्रिया को अवैध घोषित कर चुका है। वक्ताओं ने कहा है कि परियोजना के विरोध में शहर में लगातार धरने और रैलियाँ निकल रही हैं। आंदोलनकारियों कि कहना है कि देहरादून की जाम और ट्रैफिक समस्याओं का हल एलिवेटेड रोड नहीं, बल्कि सस्ती और विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था है। शहर में पहले ही स्मार्ट सिटी परियोजना पर 750 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी न सड़कें ठीक हैं, न पानी और न ही निकासी। बस्ती बचाओ आन्दोलन का साफ कहना है कि देहरादून का भविष्य मजदूरों, कारीगरों और मेहनतकश वर्ग को बेदखल कर नहीं बनाया जा सकता। “शहर का असली विकास तब होगा जब सबसे नीचे खड़े व्यक्ति की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी होगी,” वक्ताओं ने कहा है कि रिस्पना-बिंदाल परियोजनाएँ आज पहाड़ की राजधानी की दिशा तय करेंगी-यह विकास की राह पर जाएगी या विस्थापन की, यह आने वाला समय तय करेगा। इस अवसर पर संयोजक अनन्त आकाश ,सीआईटीयू महामंत्री लेखराज, जनवादी महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल ,भगवन्तं पयार , विप्लव अनन्त ,नुरैशा अन्सारि , सीमा , बिन्दा मिश्रा ,शबनम ,रविंद्र नौडियाल , प्रेंमा गढ़िया ,नरेन्द्र सिंह ,सुरेशी नेगी ,माला,अभिषेक भण्डारी ,राजेन्द्र शर्मा ,रन्जित , अकरम, आसमा, हेमा, साहिन आदि ने विचार व्यक्त किया।
सरकार से पाँच सूत्रीय माँग :-
1. हर प्रभावित परिवार को मालिकाना हक या पुनर्वास दिया जाए।
2. सर्वोच्च न्यायालय के पुनर्वास संबंधी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन हो।
3. एनजीटी के बेदखली आदेश पर रोक लगे।
4. एलिवेटेड रोड जैसी परियोजनाएं निरस्त की जाएँ।
5. शहर में सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढाँचे का विकास प्राथमिकता बने।



