Dehradun

हिंदू पंचांग के अनुसार 12 अप्रैल को होगा हनुमान जन्मोत्सव

देहरादून। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव यानी चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हनुमान जन्मोत्सव हिंदू धर्म में एक पवित्र पर्व है, जो भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार संकट मोचन हनुमान जी आज भी धरती पर विद्यमान हैं और भक्तों के कष्टों को हरने वाले देवता माने जाते हैं। हर साल यह पर्व चैत्र माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्री राम और हनुमान जी का सच्चे मन से स्मरण करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस वर्ष 12 अप्रैल 2025 को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल सुबह 5:51 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को मनाया जाएगा। भगवान हनुमान शक्ति, भक्ति और अटूट विश्वास के प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनकी पूजा करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
हनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और ऊर्जा के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। यतः यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे अतः इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चाँदी का वर्क चढ़ाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी आयु के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यन्त महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जयन्ती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। स्थान स्थान पर भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जयन्ती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है।

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