राम जन्मभूमि आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले आर एस एस के काफी पुराने स्वयंसेवक एडवोकेट विनोद नौटियाल को मठ मंदिरों के साथ ही धार्मिक क्षेत्र में मजबूत दखल रखने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। पिछले 1 साल से उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड जैसा धार्मिक मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मसले पर जहां सूबे के सीएम तीरथ रावत ने पुनर्विचार के संकेत देकर पुजारी, हकहकूक धारी व तीर्थ पुरोहितों की भावना का आदर किया है वहीं सरकार इस गंभीर मसले पर विनोद नौटियाल जैसे व्यक्ति की भी राय ले सकती है। उल्लेखनीय है कि 1999 में 40 वर्षों से भारत के सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बद्रीनाथ के प्रतीक सिंहद्वार के दाएं हिस्से पर आई दरार के बाद श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए विनोद नौटियाल ने बहुत ही कम समय में कम लागत पर सिंहद्वार का जीर्णोद्धार का काम कर न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बदरीनाथ धाम में गहरी आस्था और विश्वास रखने वाले सनातन धर्मावलंबियों के बीच मिसाल पेश कर संदेश दिया था। अपने विद्यार्थी जीवन से ही आरएसएस के स्वयंसेवक रहे विनोद नौटियाल ने 1979 में पंजाब से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पौड़ी में वकालत शुरू की थी। पुराने स्वयंसेवक होने के नाते 1990 में आर एस एस ने नौटियाल को गढ़वाल में विभाग कार्यवाह का दायित्व देकर राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। करीब 15 साल तक विभाग कार्यवाह के रूप में संघ का काम कर रहे विनोद नौटियाल को मेरठ प्रांत में 10 साल तक आर एस एस ने संपर्क प्रमुख के साथ ही प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य की भी जिम्मेदारी दी। मठ मंदिरों के साथ ही धार्मिक क्षेत्र में गहरी दखल रखने वाले विनोद नौटियाल को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 1998 में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व सौंपा। समिति में अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते ही नौटियाल ने 40 वर्षों से बद्रीनाथ की पहचान के रूप में प्रतीक सिंहद्वार पर पड़ी दरार को ठीक करने की ठान ली थी। नौटियाल की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि अल्प समय में कम लागत के साथ बद्रीनाथ के सिंहद्वार का जीर्णोद्धार का काम संपन्न हो पाया। नौटियाल के इस काम से न केवल देश बल्कि विदेश से बद्रीनाथ पहुंचने वाले सनातन धर्मावलंबियों में एक बेहतर संदेश गया था। बद्रीनाथ केदारनाथ में रहते हुए नौटियाल ने हक हकूक धारियों के दस्तूर को बढ़ाने, कर्मचारियों को पंचम वेतन आयोग, पेंशन व पारिवारिक पेंशन देने जैसे अहम निर्णय लिए थे। इसके अलावा बद्रीनाथ धाम में अंतरराज्य बस टर्मिनल का निर्माण भी नौटियाल के कार्यकाल में ही संभव हो पाया था। नौटियाल के कार्यकुशलता का ही परिणाम था कि उत्तराखंड सरकार ने 2009 में उन्हें सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी। सूचना आयुक्त रहते हुए विनोद नौटियाल ने भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर सूचना का अधिकार पर जनहित से जुड़े कार्यों पर सूचना देने में कोताही बरतने वाले कई अधिकारियों को दंडित भी किया था। भ्रष्टाचार व पर्यावरण को लेकर सूचना के अधिकार के तहत कई निर्णय विनोद नौटियाल के चर्चाओं में रहे। सूबे के सीएम तीरथ सिंह रावत के उत्तराखंड में चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुनर्विचार के बयान का जहां चारों धामों के तीर्थ पुरोहित, पुजारी व हक हकूक धारियों ने स्वागत किया है वहीं सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सरकार ऐसे मौके पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष व धार्मिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले विनोद नौटियाल की भी राय ले सकती है।
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