देहरादून: आज देवभूमि ने अपने 21 साल पूरे कर लिए हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता कि राज्य के इतिहास को भावुकता के सिवाय किसी दूसरी स्याही की कलम से लिखा जाए। राज्य आंदोलनकारियों के दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि आज उत्तराखंड राज्य बन सका है। बता दें कि उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर सालों से आंदोलन जारी था। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड अस्तित्व में आया था। इसके बाद यह देश का 27वां राज्य बना। इसका गठन उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार द्वारा उत्तराखंड क्रांति दल के लंबे संघर्ष के बाद किया गया था।
उत्तराखंड का नाम हमेशा से उत्तराखंड नहीं था ब्लकि इसे उत्तरांचल कहा जाता था। 2000 से 2006 तक चले उत्तरांचल नाम को जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए बदल दिया गया। तब से उत्तरांचल का नाम उत्तराखंड हो गया। उत्तराखंड नाम संस्कृत बोली से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘उत्तरी शहर’।
गौरतलब है कि इसने पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया। उत्तराखंड के सीमावर्ती राज्यों में तिब्बत, नेपाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। उत्तराखंड को देवों की भूमि देवभूमि और पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। बता दें कि यहां हिंदुओं के कई प्रमुख स्थान है।
क्यों खास है उत्तराखंड
शायद आपको जानकर हैरानी हो लेकिन उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है जहां पर हिंदी के बाद संस्कृत शब्द को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हुई है। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं।
उत्तराखंड हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। इसके अलावा राज्य में प्राकृतिक खूबसूरती के केंद्र जैसे ग्लेशियर, नदियां, घने जंगल और बर्फ से ढकी पर्वत चोटियां उपस्थित हैं। इसमें चार सबसे पवित्र और श्रद्धेय हिंदू मंदिर भी हैं जिन्हें उत्तराखंड के चार धाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री) के रूप में भी जाना जाता है। देवभूमि को संस्कृति, जातीयता और धर्म का समामेलन कहा जाता है।
आस्था का केंद्र
उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थल केदारनाथ, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, उत्तरकाशी, देवप्रयाग, पंच प्रयाग आदि प्रमुख है। चार धाम की यात्रा के अहम हिस्से केदारनाथ के कपाट अप्रैल से नवंबर महीने के बीच खुलते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल नए नए रिकॉर्ड तोड़ती है।
हर की पौड़ी हरिद्वार में गंगा घाट पर हर दिन सूर्यास्त के बाद गंगा आरती होती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाट पर इकट्ठा होते हैं। उत्तराखंड राज्य का सबसे प्रमुख त्योहार कुंभ मेला है। साथ ही चमोली का गौचर मेला, बागेश्वर का उत्तरायणी, पूर्णगिरी मेला, नंदा देवी राज जाट यात्रा प्रमुख है।
रोचक तथ्य
दक्षिण-पूर्व में बसा ऋषिकेश धार्मिक स्थानों में प्रमुख माना जाता है। यहां श्रद्धालुओं से लेकर पर्यटकों की आवाजाही खासा अधिक रहती है। एडवेंचर गतिविधियों के साथ ही अध्यात्म की दृष्टि से इसकी बहुत महत्वता है। बता दें कि ऋषिकेश को योग की राजधानी भी कहा जाता है।
नैनीताल में मौजूद जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है। यह 1000 साल पुराना है।
भागीरथी नदी पर बना हुआ टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा बांध है। यहां से पैदा की जाने वाली बिजली पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली तक वितरित की जाती है।
1970 में हुए चिपको आंदोलन उत्तराखंड का सबसे चर्चित आंदोलन रहा है। इस आंदोलन में एक विशेष समूह (खासकर महिलाओं) ने पेड़ों की रक्षा के लिए पेड़ों को गले से लगा लिया था।
सफेद कमल – उत्तराखंड के राज्य का फूल है ब्रह्म कमल। यह वही सुंदर कमल फूल है जो ब्रह्मा जी के हाथों में है। साथ ही आपको बता दें कि ब्रह्मा कमल का इस्तेमाल आईटीलएस मेडिकल प्रोजेक्ट्स के लिए भी प्रमुख है।
गंगा नदी उत्तराखंड का प्रतीक मानी जाती है। वहीं राज्य पशु हिमालयन कस्तूरी प्रिय है, हिमालयन मोनाल है, राज्य पेड़ बुरांश है और राज्य फूल ब्रह्म कमल है।
उत्तरकाशी जिले की बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। गोविंद वल्लभ पंत प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे। सुमित्रा नंदन पंत प्रसिद्ध लेखिका थीं। तो अभिनव बिंद्रा ओलंपिक में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे।