Dehradun

आपातकाल कभी न भुलाए जाने वाला लोकतंत्र पर कलंक

देहरादून। भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष व सासंद राज्यसभा डा. नरेश बंसल ने कहा की निरंकुश, सत्ता के मद मे चूर, खुद को सबसे ऊपर मानने वाली, जनता के विद्रोह व न्याया पालिका के आदेश से घबराई प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को भारतीय लोकतंत्र की हत्या करते हुए भारतीय इतिहास के काले अध्याय आपातकाल को लागू कर दिया था। जिसके तहत भारतीय नागरिको के अधिकारो का दमन कर दिया गया था। इस दौरान नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार सीमित कर दिए गए थे और बड़े पैमाने पर विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डाला गया था। डा. नरेश बंसल ने कहा कि प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। डा. नरेश बंसल ने कहा कि उन्होने भी इस आपातकाल को करीब से देखा है जब इंदिरा इस इंडिया जैसे नारे लगाए जा रहे थे। सरकार से नजदीकी दिखाई जा रही थी कुछ चापलूसो द्वारा, सरकार को खुश करने को पुलिस-प्रशासन का अत्याचार चरम पर था, एक परिवार को सत्ता मे रखने को सब हो रहा था, पर कुछ दिवाने थे जिन्होने आवाह्न किया इंदिरा गद्दी खाली करो जनता आती है। डा. नरेश बंसल ने कहा कि वह भी उस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक की उस टोली के सदस्य थे, जिसने सरकार के खिलाफ भूमिगत आंदोलन चलाया। सरकार के खिलाफ प्रचार सामग्री वितरित की, मिटिंग की, दीवारो पर लिखा पर घर बार छोड़कर देहरादून मे आंदोलन चलाते रहे व गिरफ्तार नहीं हुए व निरंकुश सरकार के खिलाफ विद्रोह की आवाज बने। डा. नरेश बंसल ने बताया की वह दौर याद करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते है जब सरकार अपने ही लोगो की हत्यारी बन गई। डा. नरेश बंसल कहते है कि अंतरिम मे उनका आंदोलन रंग लाया आपातकाल हटा, संघ से प्रतिबंध हटा व इंदिरा सत्ता से बाहर हुई व लोकतंत्र की विजय हुई।

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