देहरादून: स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उत्तर प्रदेश के जिस नकल माफिया सैयद सादिक मूसा का नाम मुख्य आरोपित के रूप में सामने आ रहा है, एसटीएफ से जुड़े सूत्रों की मानें तो वह वर्ष 2012 से उत्तराखंड में इस गोरखधंधे में सक्रिय रहा है। मूसा उत्तर प्रदेश के धामपुर और लखनऊ में बैठकर अपने गिरोह की मदद से उत्तराखंड में पेपर लीक करवा रहा था। गंभीर बात यह है कि साफ-सुथरी परीक्षाओं का दावा करने वाले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी और बीते 10 वर्षों में मूसा ने उत्तराखंड में बाकायदा अपनी टीम तैयार कर ली।
पेपर लीक के मामले में एसटीएफ ने एक और बड़ी गिरफ्तारी की है। लखनऊ से पेपर लीक के मामले में संपन्न राव को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से तीन लाख 80 हजार रुपये बरामद हुए हैं। एसटीएफ के मुताबिक, आरोपी संपन्न राव लखनऊ से हल्द्वानी आकर एक होटल में रुका था, जहां उसने कई अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र भेजे थे। नकल माफिया 25 हजार का इनामी सैयद सादिक मूसा का साथी है। इस मामले में अभी तक 92 लाख रुपए कैश बरामद हो चुका है, जबकि करोड़ों रुपए की संपत्ति के बारे में भी एसटीएफ को जानकारी लगी है। दर्जनों बैंक अकाउंट को फ्रीज किया गया है और मामले में 33 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार मूसा और केंद्रपाल करोड़ों रुपये में राजेश चौहान से पेपर लीक करने की डील करते थे। पेपर हाथ में आने के बाद वह कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में अपने गुर्गों के माध्यम से अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाते थे। इसके लिए हर अभ्यर्थी से लाखों रुपये लिए जाते थे। आरोपितों ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग टीम तैयार कर रखी थी। मूसा के गिरोह में हाकम सिंह, शशिकांत और चंदन मनराल जैसे कई गुर्गे शामिल थे। पहले तो एसटीएफ छोटे-मोटे गुर्गों को ही इस गिरोह का मास्टरमाइंड बता रही थी। जैसे-जैसे गिरफ्तारियों का आंकड़ा बढ़ा तो मास्टरमाइंड बदलने लगे। धामपुर (उप्र) निवासी केंद्रपाल के गिरफ्त में आने के बाद एसटीएफ को पता चला कि इस गिरोह का संचालन सादिक मूसा कर रहा था। एसटीएफ मूसा तक पहुंचती, इससे पहले ही वह नेपाल भाग गया।