उत्तरकाशी: कोरोना महामारी के दो साल बाद दयारा बुग्याल में पारंपरिक एवं ऐतिहासिक बटर फेस्टिवल (अंढूड़ी उत्सव) चल रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों की ऐतिहासिक बटर फेस्टिवल की बधाई दी है।
समुद्रतल से 11 हजार फीट की उंचाई पर 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीण सदियों से भाद्रप्रद महीने की संक्रांति को दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलते आ रहे हैं। रविवार को रैथल में आयोजित बैठक में दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने इस वर्ष 17 अगस्त को पारंपरिक बटर फेस्टिवल के आयोजन का निर्णय लिया। कहा गया कि दो वर्षों से कोरोना संकट के कारण बटर फेस्टिवल का आयोजन ग्रामीणों ने सूक्ष्म रूप से किया था।
दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीण सदियों से भाद्रप्रद महीने की संक्रांति को दूध मक्खन मट्ठा की होली खेलते हैं। प्रकृति का आभार जताने वाले इस अनोखे उत्सव का आयोजन रैथल गांव की दयारा पर्यटन उत्सव समिति व ग्राम पंचायत बीते कई वर्षों से करते आ रही है, जिससे देश-विदेश के पर्यटक इस अनूठे उत्सव का हिस्सा बन सकें।
वर्तमान समय में बटर फेस्टिवल के नाम से मशहूर हो चुके इस आयोजन से उत्तरकाशी के साथ उत्तराखंड राज्य की लोक संस्कृति का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार हुआ है। दयारा बुग्याल के आधार शिविर रैथल गांव के निवासी पंकज कुशवाल ने बताया कि यह आयोजन प्रकृति का आभार जताने के लिए किया जाता है।
ऊंचे बुग्यालों में उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर घास और अनुकूल वातावरण का फर्क दुधारू पशुओं पर पड़ता है, जिससे उनकी दूध देने की क्षमता भी बढ़ती है। सर्दियों में जब ग्रामीण अपने पशुओं के साथ बुग्याल से गांव की ओर लौटते हैं तो स्वयं और पशुओं की रक्षा के लिए दूध और मक्खन चढ़ाकर प्रकृति का आभार जताते हैं। इसी खुशी में यहां दूध-मक्खन की होली का आयोजन किया जाता है।