उत्तराखंड में लंबे समय से स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण जन सरोकार के मुद्दे पर गरीब लोगों की मदद करने वाले देहरादून उत्तराखंड के जाने-माने चिकित्सक डॉ. विपुल कंडवाल ने कोविड काल में लोगों से हिम्मत से काम लेने की अपील की है। डॉ0 कंडवाल का कहना है कि यदि किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई भी कठिनाई महसूस हो रही हो तो उसे घबराने के बजाय धैर्य के साथ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। सांस संबंधी दिक्कत होने पर डॉ0 कंडवाल में लोगों से तुरंत हॉस्पिटल पहुंचने की अपील की है। उनका कहना है कि शरीर में 95 से 100 प्रतिशत होना चाहिए ऑक्सीजन का लेवल
पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर की बढ़ती रफ्तार के चलते उत्तराखंड में भी तेजी से आंकड़ा आगे बढ़ रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में मरीज अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। इन मरीजों में अधिकाशं मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। शरीर में ऑक्सीजन की कमी को लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां हैं। इन भ्रातियों को दूर करने का काम किया डाॅ विपुल कंडवाल ने। देहरादून आरोग्यधाम अस्पताल के निदेशक एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विपुल कंडवाल ने बताया कि फेफड़ों के ठीक से काम नहीं करने के कारण दिमाग को समुचित ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो हृदय, किडनी समेत शरीर के विभिन्न अंग शिथिल पड़ने लगते हैं। फेफड़ों में संक्रमण होने की वजह से फेफड़े प्राकृतिक ऑक्सीजन कम ले पाते हैं। इससे दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त रूप से नहीं पहुंच पाती।
दिमाग फेफड़ों को इस बात का सिग्नल देता है कि ऑक्सीजन की कमी हो रही है। इसलिए इंसान जोर-जोर से सांस लेने की कोशिश करता है। इससे दम फूलने लगता है। ऐसी स्थिति में मरीज को कृत्रिम ऑक्सीजन मशीनों के जरिए दी जाती है। साथ ही कोरोना और निमोनिया की वजह से बढ़े संक्रमण को सिटी स्कैन के माध्यम से 25 हिस्सों में बांटकर उपचार दिया जाता है। जहां-जहां संक्रमण ज्यादा होगा, उसे दवाइयों से कम किया जाता है।
डाॅ विपुल कंडवाल ने बताया ऑक्सीजन की कमी होने के कारण खांसी, बुखार, बदन दर्द, फ्लू, थकावट लगना, भूख न लगना सिर चकराना, सिर दर्द, घबराहट, दम फूलना आदि लक्षण होने लगते हैं। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 90 से अधिक होनी चाहिए। वैसे स्वस्थ शरीर में 95 से 100 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए।
कोरोना संक्रमित होने के बावजूद अगर मरीज को ज्यादा दिक्कत नहीं है तो होम आइसोलेशन में रह सकते हैं। इस दौरान भी डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार और बचाव के साधनों का इस्तेमाल करते रहें। साथ ही पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर भी समय-समय पर नापते रहें, लेकिन अगर सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तत्काल अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों को दिखाएं।